पूज्य मा की अर्चना

 


पूज्य मां की अर्चना का एक छोटा उपकरण हू।

उच्च है वह शिखर देखो मैं नहीं वह स्थान लूंगा।

और चित्र भित्तिका है, मैं नहीं शोभा बनूंगा।

पूज्य है वह मातृ मंदिर नीव का मै एक कण हू।

पूज्य मां की अर्चना का एक छोटा उपकरण हू ।।१।।


मुकुट मां का जगमगाता, मैं नहीं सोना बनूंगा।

जगमगाते रत्न देखो, मैं नही हीरा बनूंगा।

पूज्य मां की चरणरज का एक छोटा धूलिरज हू।

पूज्य मां की अर्चना का एक छोटा उपकरण हू ।।२।।

 

आरती भी हो रही है गीत बनकर क्या करूंगा।

पुष्प माला चढ़ रही है, फूल बन कर क्या करूंगा।

मालिका का एक तन्तु, गीत का मै एक स्वर हू।

पूज्य मां की अर्चना का एक छोटा उपकरण हू ।।३।।


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