मन मस्त फकीरी धारी है।
अब एक ही धुन जय जय भारत, जय जय भारत, जय जय भारत,
जय जय भारत, जय जय भारत, जय जय भारत।।ध्रुव वाक्य ।।
हम धन्य है इस जग जननी की ,सेवा का अवसर है पाया ।
इसकी माटी ,वायु जल से ,दुर्लभ जीवन है विकसाया
यह पुष्प उसी के चरणों मैं,मां प्राणों से भी प्यारी है ।।1।।
मन मस्त फकीरी धारी है..........
सुंदर सपने, नव आकर्षण ,सब तोङ चले मुख मोङ चले
वैभव महलों का क्या करना..सोते सुख से आकाश तले
साधन की ओर न ताकेंगे….कांटों की राह हमारी है ।।2।।
मन मस्त फकीरी धारी है...........
सत्ता की रंगत अद्भुत है,पद से अनेक चिपका करते
जब बहे राज रस की धारा,अच्छे अच्छे फिसला करते
राजा आदर्श हो जनसेवक,तीखी तलवार दुधारी है ।।3।।
मन मस्त फकीरी धारी है...........
इस समय चुनौती है भीषण ,अरे देश द्रोही सीना ताने
पथभ्रष्ट नीतियां चलती है…आतंकी घूमे मनमाने
जन जन मैं स्वत्व जगायेंगे…भारत की शक्ति अपारी है ।।4।।
मन मस्त फकीरी धारी है...........
ऋषियों मुनियों,संतों का तप अनमोल हमारी थाती है..
बलिदानी वीरों की गाथा अपनें रग रग लहराती है
गौरवमय नव इतिहास रचें…अब अपनी ही तो बारी है ।।5।।
मन मस्त फकीरी धारी है अब एक ही धुन जय जय भारत, जय जय भारत, जय जय भारत,
जय जय भारत, जय जय भारत, जय जय भारत जय जय भारत ।।
लेखक परिचय.श्री नंदलाल जी ब्यास…आप बाङमेर के निवासी है.अच्छे अंक लेकर आपने इंजिनियरिंग पास की ..युवावस्था मैं आप संघ की और आकर्षित हुए और आजीवन अविवाहित रहकर देश की सेवा का प्रण लिया औऱ संघ के प्रचारक बन गये.और आज भी आप प्रचारक हैं…ऐसे अनेको देश भक्तिगीतों की आपने रचना की है.अपनी मस्त प्रकृति के कारण आप दाढी रखने लगे और अपने चाहने वालों के बीच आप नंदजी बाबा जी के नाम से जाने जाते हैं…वर्तमान मै आपका कैंद्र जोधपुर है।







टिप्पणियाँ
सादर प्रणाम ।
आपके गीत को सभी पसंद करते है बहुत ही सुन्दर गीत की रचना व स्वर है
नमन्