हम भारत माँ की सन्तान बढें चीरकर हर तूफान

हम भारत माँ की सन्तान बढें चीरकर हर तूफान॥
शील क्षमा है बोलों में
गिनती है अनमोलों में
हम है जीवन का वरदान॥१॥
हम अनेकता में भी एक
हम संकट में ध्रुव टेक
हम आजादी की मुस्कान ॥२॥
दौर प्रगति का हम आगे
साथ समय के हम भागे
हम हैं बलिदानों की आन ॥३॥
हम हैं सुख दुःख से ऊपर
सिर पर अम्बर पग है भू पर
हम निर्झर तोडें चट्टाने॥४॥

टिप्पणियाँ

Geetsangham ने कहा…
अद्वितीय