आँधी क्या है तूफान मिलें, चाहे जितने व्यवधान मिलें,

आँधी क्या है तूफान मिलें, चाहे जितने व्यवधान मिलें, 
बढ़ना ही अपना काम है, बढ़ना ही अपना काम है।। 

हम नई चेतना की धारा, हम अंधियारे में उजियारा, 
हम उस बयार के झोंके हैं, जो हर ले जग का दुःख सारा, 
चलना है शूल मिलें तो क्या, पथ में अंगार जलें तो क्या, 
जीवन में कहाँ विराम है, बढ़ना ही अपना काम है।। 1।। 

हम अनुगामी उन पाँवों के, आदर्श लिए जो बढ़े चले, 
बाधाएँ जिन्हें डिगा न सकीं, जो संघर्षों में अड़े रहे, 
सिर पर मंडरता काल रहे, करवट लेता भूचाल रहे, 
पर अमिट हमारा नाम है, बढ़ना ही अपना काम है।। 2।। 

वह देखो पास खड़ी मंजिल, इंगित से हमें बुलाती है, 
साहस से बढ़ने वालों के, माथे पर तिलक लगाती है, 
साधना न व्यर्थ कभी जाती, चलकर ही मंजिल मिल पाती,
फिर क्या बदली क्या घाम है, बढ़ना ही अपना काम है।। 3।।

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
यह गीत जीवन के कठिन से कठिन परिस्थितियों मे आगे बढने के लिए प्रेरणा देता है।
Unknown ने कहा…
I was just 13 years old when I learned this Poem in a Camp of RSS in Jalandhar Cant for 7 days. _And I still remember it._ Trust me My friends; this poem Changed my Personality Outlook. In my studies I did CA (after failing 3 times) & each time I bounced back & finally cleared my CA with 16th Rank in All-India. Today I am 68 years old, and am Always thankful to RSS for their contributions in my Carrier.