अभिमन्यु के रथ का पहिया चक्रव्यूह की मार है।






उठो जवानो हम भारत के स्वाभिमान सरताज हैं ।अभिमन्यु के रथ का पहिया चक्रव्यूह की मार है।।ध्रु॰।।
चमके कि ज्यो  दिनकर चमका है,
उठे कि ज्यो तूफान उठे,
चले चाल मस्ताने गज सी,
हँसे कि विपदा भाग उठे,
हम भारत की तरुणाई हैं,
माता की गलहार हैं,
अभिमन्यु के रथ का पहिया चक्रव्यूह की मार है।।1।।
खेल कबड्डी कहकर,
पाले में ना घुस जाए दुश्मन,
प्रतिद्वंदी से ताल ठोंककर,
कह दो भाग जाओ दुश्मन,
मा जीजा के वीर शिवा हम, 
राणा के अवतार हैं,
अभिमन्यु के रथ का पहिया चक्रव्यूह की मार है।।2।।
गुरुपूजा में एकलव्य हम,
बैरागी के बाण हैं,
लव कुश की हम प्रखर साधना,
शकुंतला के प्राण हैं,
चंद्रगुप्त की दिग्विजयोंके हम ही खेवनहार हैं,
अभिमन्यु के रथ का पहिया चक्रव्यूह की मार है।।3।।
गोरा, बादल, जयमल, पत्ता,
भगत सिंह, सुखदेव, आजाद,
केशव की हम ध्येय साधना,
माधव बन होती आवाज,
आज नहीं तो कल के भारत के,
हम ही पहरेदार हैं,
अभिमन्यु के रथ का पहिया चक्रव्यूह की मार है।।4।।
उठो जवानो हम भारत के स्वाभिमान सरताज हैं।अभिमन्यु के रथ का पहिया चक्रव्यूह की मार है।।

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