क्रांति का यह पर्व आया, ज्ञान का संदेश लेकर।
गहन तम की निशा बीती, भोर आया भाग्य लेकर।।
दे रही संदेश जग को, प्रकृति भी करवट बदल कर।
छोड़ तन्द्रा उठ पड़ो अब, कर्म का संदेश लेकर।। ध्रुव ।।
क्रांति का यह पर्व आया, ज्ञान का संदेश लेकर।
गहन तम की निशा बीती, भोर आया भाग्य लेकर।।1।।
सूर्य की अरुणिम विभा ले, किरण बन उतरो नयन में।
साधना का हो बसेरा, गंध बन विचरो पवन में।
हिंदू हम सब एक हैं, समरसता संदेश देकर।
क्रांति का यह पर्व आया, ज्ञान का संदेश लेकर।
गहन तम की निशा बीती, भोर आया भाग्य लेकर ।।2।।
संगठन के मंत्र से ही, देश को वैभव मिलेगा।
दिव्य शाखा तंत्र से ही, सुप्त मन सरसिज खिलेगा।
सब चले मिल संघ बनकर, शक्ति का संदेश लेकर।
क्रांति का यह पर्व आया, ज्ञान का संदेश लेकर।
गहन तम की निशा बीती, भोर आया भाग्य लेकर ।।3।।
धर्म के प्रभारी बने हम, मान संस्कृति का करें हम।
वेद की पावन ऋचा से, ज्ञान का मंदिर रचे हम।
अग्नि पथ पर बढ़ चले, मुक्ति का संदेश लेकर ।।4।।
क्रांति का यह पर्व आया, ज्ञान का संदेश लेकर।
गहन तम की निशा बीती, भोर आया भाग्य लेकर।
दे रही संदेश जग को, प्रकृति भी करवट बदल कर।
छोड़ तन्द्रा उठ पड़ो अब, कर्म का संदेश लेकर ।।
क्रांति का यह पर्व आया, ज्ञान का संदेश लेकर।
गहन तम की निशा बीती, भोर आया भाग्य लेकर।।


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