चर्चा
(बाल स्वयंसेवको के लिए) संघ का प्रारंभिक ज्ञान
-- हम नित्य शाखा में आते हैं।
-- शाखा अर्थात् वृक्ष की पतली डाल।
-- शाखा...................संघ की।
-- संघ.......अर्थात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (पूरा नाम)
-- संघ के नाम में.............तीन शब्द।
१. राष्ट्रीय २. स्वयंसेवक. ३. संघ
-- संघ की स्थापना - विजयदशमी सन् 1925
-- स्थान का नाम - मोहिते का बाड़ा, नागपुर
-- संघ के जन्मदाता - परम पूजनीय डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार।
-- दक्षिण भारत में नाम लिखने की विधा पहले नाम फिर पिता का नाम अंत में उपजाति का नाम।
-- उनका स्थान संघ में.......आद्य सरसंघचालक
-- उनका स्वर्गवास 21 जून 1940
-- द्वितीय सरसंघचालक - परम पूज्य माधव राव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी)
परम पूज्य गुरु जी का स्वर्गवास 5 जून 1973
-- तृतीय सरसंघचालक - परम पूज्य मधुकर दत्तात्रेय
देवरस (बालासाहेब देवरस)
देवरस (बालासाहेब देवरस)
परम पूज्य बाला साहब का स्वर्गवास - 17 जून 1996
-- चतुर्थ सरसंघचालक - परम पूज्य श्री राजेंद्र सिंह
(रज्जू भैया)
(रज्जू भैया)
-- पंचम सरसंघचालक - परम पूज्य कुप्हल्ली सीतारमैया सुदर्शन जी
-- वर्तमान सरसंघचालक - परम पूज्य मोहन भागवत। जी।
-- सभी सरसंघचालक उच्च शिक्षा प्राप्त, किन्तु अविवाहित ऋषितुल्य जीवन।
-- संघ के नाम में प्रथम शब्द 'राष्ट्रीय' हिंदू तथा भारतीय
शब्द का पर्यायवाची है। वे लोग 'राष्ट्रीय' हैं जो भारत को अपने मातृभूमि मानते हैं। अर्थात देश के पहाड़ नदियों
पवित्र तीर्थों महापुरुषों के प्रति श्रद्धा और आदर सम्मान रखते हैं।
शब्द का पर्यायवाची है। वे लोग 'राष्ट्रीय' हैं जो भारत को अपने मातृभूमि मानते हैं। अर्थात देश के पहाड़ नदियों
पवित्र तीर्थों महापुरुषों के प्रति श्रद्धा और आदर सम्मान रखते हैं।
-- तीसरा शब्द संघ अर्थात् संगठन। उदाहरणार्थ रस्सी, वृक्ष,
मानव शरीर, मधुमक्खी का छत्ता। संगठन में सभी लोग सामूहिक रूप से परस्पर सहयोग व सामंजस्य के बल पर ध्येय प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील रहते हैं। जैसे शरीर के विविध अंग।
मानव शरीर, मधुमक्खी का छत्ता। संगठन में सभी लोग सामूहिक रूप से परस्पर सहयोग व सामंजस्य के बल पर ध्येय प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील रहते हैं। जैसे शरीर के विविध अंग।
-- संघ का उद्देश्य - हिंदू राष्ट्र के सर्वांगीण उन्नति।
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