अमृत वचन
"जिस बात में हमारी अत्यंत श्रद्धा है और जिस में सोता रखना राष्ट्रीयता का परिचायक भी है, वह यह है कि यह विशाल भूमि हमारी मातृभूमि है। हम सब इस के पुत्र हैं।" इस की सेवा करना हमारा कर्तव्य है तथा इस भूमि के कारण राष्ट्र के नाते जो हमारा जीवन संभव हुआ है, उस जीवन की कीर्ती अपनी सेवा से फैलाने का स्वाभाविक कर्तव्य हमने अपने सामने रखा है।
परम पूज्य श्री गुरु जी
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