गच्छन पिपीलिको याति को जनवरी 02, 2020 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप सुभाषित गच्छन पिपीलिको याति योजनानां शतैरपि। अगच्छन् वैनतोअपि पदमेकं न गच्छति।। अर्थ :- चलती हुई चींटी भी सैकड़ों योजन की दूरी तय कर लेती है। (लेकिन) न चलता हुआ गरुण एक कदम भी नहीं चल पाता। (अतः सदैव कर्मरत रहो, रुको मत) टिप्पणियाँ
टिप्पणियाँ