आदर्श स्वयंसेवक

        आदर्श स्वयंसेवक के लिए कई उदाहरण दिए जाते हैं। उनमे से एक उदाहरण के रूप में एक ऐसे स्वयंसेवक की कहानी है जो अपना घर बार छोड़कर संघकार्य के लिए पूर्णकालिक विस्तारक के रूप में निकला होता है। एक बहुत प्रेरणादायी प्रसंग है।

        एक बार एक किशोर स्वयंसेवक एक विस्तारक के रूप में एक गांव में गया। एक परिवार में रहने लगा। दस-बारह दिन में उस परिवार के साथ घुलमिल गया। शाखा का काम भी प्रारंभ हुआ।

       उन दिनों एक साबुन का विज्ञापन था "सोना कमाओ भाग्य आजमाओ - सोने का सिक्का पाओ"। एक दिन अचानक स्नान करते-करते उसके ही घर में साबुन में सिक्का निकला जो इसी स्वयंसेवक के शरीर को घिसने लगा। इसे पता नहीं था इसलिए नहाते समय साबुन में दिखे सोने के सिक्कों को देखकर आश्चर्य में पड़ गया। स्नान के बाद बड़ी विनम्रता के साथ साबुन में पाया हुआ सिक्का उसने वहां के परिवार प्रमुख को सौंप दिया। 
       सामान्य जीवन में कहां मिलते हैं ऐसे उदाहरण।

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