चंद्रशेखर आजाद
(जन्म 23 जुलाई, 1906)
मध्य प्रदेश में जन्म। निर्धन परिवार में जन्म लेने और अभावग्रस्त जीवन होते हुए भी शरीर अत्यंत बलिष्ठ था। आदिवासियों से तीर चलाना सीखा। घर से चुपचाप निकल कर काशी पहुंचे और पढ़ाई करने लगे। 1921 में स्वदेशी आंदोलन भाग लेने तथा पुलिस अधिकारी को कंकड़ मारने के अपराध में गिरफ्तार कर दिए गए। जाड़े की रात में हवालात में नंगा कर 15 बेंत मारा गया। चमड़ी उधड़ गई। रक्त बहता रहा किंतु आजाद ने उफ तक नहीं की और हर बेंत की चोट पर गरज कर भारत माता की जय बोलते रहे। 1923 में क्रांतिकारियों के संपर्क में आए। 1925 में राम प्रसाद बिस्मिल सहित अन्य क्रांतिकारियों के साथ काकोरी स्टेशन (लखनऊ के निकट) से आगे रेलगाड़ी से जा रहे ब्रिटिश सरकार के खजाने को लूट लिया। पुलिस ने पूरे देश में आजाद को गिरफ्तार करने के लिए जाल बिछा दिया किंतु वे पुलिस के हाथ न लगे। आजाद ने भगत सिंह के साथ मिलकर लाला लाजपत राय के हत्यारे सांडर्स को लाहौर में गोली मार दी। फरवरी 1931 में आजाद प्रयाग के एक धनी व्यक्ति के पास गए जिसके पास क्रांतिकारी दल का पैसा जमा था। आजाद के रुपया मांगने तो उस व्यक्ति ने अगले दिन बुलाया और पुलिस को सूचना दे दी। 27 फरवरी जब आजाद अल्फ्रेड पार्क में बैठे थे, हजारो पुलिस के जवानों ने उन पर चारों ओर से गोली चलाना आरंभ किया। आजाद एक पेड़ की ओट लेकर 20 मिनट तक मुकाबला करते रहे किंतु पिस्तौल की गोलियाँ समाप्त होते देख अंतिम गोली अपने सीने में दाग ली। इस प्रकार आजाद देश के शहीद हो गए।
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