केशव तुम अद्भुत माली थे, हिंदू भूमि के उपवन के।




राष्ट्र वृक्ष का मूल सींचने, खून पसीने यौवन से।
केशव तुम अद्भुत माली थे, हिंदू भूमि के उपवन के।।

बालकपन में सहज बुद्धि से, देशभक्ति का पाठ पढ़ा, स्वाभिमान के सांचे में था, मनोभूमि व्यवहार गढ़ा,
हंस-हंस आघातों को झेला, विधि-विधान अरि शासन के,
केशव तुम अद्भुत माली थे, हिंदू भूमि के उपवन के ।।१।।
तिलक प्रेरणा बंग लहर में, तुम तेरे थे जी भर-भर, निर्भय दुर्मद प्रखर तेज से, उग्र हुए आजादी स्वर,
तुम डॉ थे राष्ट्र हृदय के, ज्ञाता दिल की धड़कन के,
केशव तुम अद्भुत माली थे, हिंदू भूमि के उपवन के ।।२।।
संघ कार्य है नित्य सनातन, हिंदू एकता का साधन, एक तंत्र है दैनिक शाखा, संस्कारों के हेतु मिलन,
तुम शिल्पी थे अडिग नीव पर, नवरचना के सृजन के,
केशव तुम अद्भुत माली थे, हिंदू भूमि के उपवन के ।।३।।
केशव हर हिंदू के मन में, भर जाए यह प्रखर लगन, विजय शालिनी कार्य-शक्ति की, जय से गुंजे धरा गगन,
विम्व रूप हम बने तुम्हारे, आदर्शोन्मुख जीवन के,
केशव तुम अद्भुत माली थे, हिंदू भूमि के उपवन केे,
राष्ट्र वृक्ष का मूल सींचने, खून पसीने यौवन से।
राष्ट्र वृक्ष का मूल सींचने, खून पसीने यौवन से।
केशव तुम अद्भुत माली थे, हिंदू भूमि के उपवन के।।

बालकपन में सहज बुद्धि से, देशभक्ति का पाठ पढ़ा, स्वाभिमान के सांचे में था, मनोभूमि व्यवहार गढ़ा,
हंस-हंस आघातों को झेला, विधि-विधान अरि शासन के,
केशव तुम अद्भुत माली थे, हिंदू भूमि के उपवन के ।।१।।
तिलक प्रेरणा बंग लहर में, तुम तेरे थे जी भर-भर, निर्भय दुर्मद प्रखर तेज से, उग्र हुए आजादी स्वर,
तुम डॉ थे राष्ट्र हृदय के, ज्ञाता दिल की धड़कन के,
केशव तुम अद्भुत माली थे, हिंदू भूमि के उपवन के ।।२।।
संघ कार्य है नित्य सनातन, हिंदू एकता का साधन, एक तंत्र है दैनिक शाखा, संस्कारों के हेतु मिलन,
तुम शिल्पी थे अडिग नीव पर, नवरचना के सृजन के,
केशव तुम अद्भुत माली थे, हिंदू भूमि के उपवन के ।।३।।
केशव हर हिंदू के मन में, भर जाए यह प्रखर लगन, विजय शालिनी कार्य-शक्ति की, जय से गुंजे धरा गगन,
विम्व रूप हम बने तुम्हारे, आदर्शोन्मुख जीवन के,
केशव तुम अद्भुत माली थे, हिंदू भूमि के उपवन केे,
राष्ट्र वृक्ष का मूल सींचने, खून पसीने यौवन से।
केशव तुम अद्भुत माली थे, हिंदू भूमि के उपवन के ।।४।।
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