सुभाषितम्

                           सुभाषितम्

स्वदेशे कष्ट मांपन्ने, उदासीनास्तु ये नरः ।
नैव च प्रति कुर्वंति , ते नरः शत्रु नन्दनः ।।

अर्थ : जब देश में संकट हो तब जो लोग उदासीन भाव से दूर खड़े रहते हैं, वो शत्रुओं को ही आनंद देने वाले होते हैं।

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