अपना-अपना धर्म



 एक दो बड़े झटकों के साथ तेज रफ़्तार बस रुक गयी सभी यात्री ड्राइवर पर भड़कने लगे !

पर जब पसीना पसीना ड्राइवर ने बताया कि ब्रेक फेल हो गए थे, एक किलोमीटर पहले किसी तरह सँभालते हुए यहाँ पर रोकना ठीक लगा और .....सब बच गए ! 
तो सब ड्राइवर की भूरी भूरी प्रशंसा करने लगे ...
मगर थोड़ी देर में यात्रियों का ज्ञान जागृत होने लगा..
एक बोलता है अगर यहाँ तक ले आये तो धीरे धीरे घर तक ही ले आता...
दूसरा : मैं तो बाइक निकालने से पहले ब्रेक चेक करता हूँ...
तीसरा : अब हमारे रहने खाने का बंदोबस्त यह ड्राइवर ही करेगा...
चौथा : टिकटो कें पैसे का हिसाब दो यहाँ तक कितना लगा कितना बचा...
और ड्राइवर सोच रहा था की वैसे तो ये हरामखोर बचाये जाने लायक नहीं है़, मगर मुझे तो अपना फर्ज निभाना ही है ।

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