एकल गीत
हिन्दू युवको! आज का युग धर्म शक्ति-उपासना है।
बस बहुत अब हो चुकी है शांति की चर्चा यहां पर,
हो चुकी अति ही अहिंसा-तत्व की चर्चा यहां पर
यह मधुर सिद्धांत रक्षा देश की पर कर ना पाए,
ऐतिहासिक सत्य है, यह सत्य अब पहिचानना है।।१।।
हम चले थे विश्व भर को शांति का संदेश देने,
किंतु जिसको बंधु समझा आ गया वह प्राण लेने
शक्ति को हमने अपेक्षा, है उसी का दंड पाया,
यह प्रकृति का ही नियम है जब हमें यह जानना है।।२।।
जग नहीं सुनता, कभी दुर्बल जनों का शांति प्रवचन,
सिर झुकाता है उसे जो कर सके रिपु-मान-मर्दन,
ह्रदय में हो प्रेम लेकिन शक्ति भी कर में प्रबल हो,
यह सफलता मंत्र है करना इसी की साधना है।।३।।
यह ना भूलो इस जगत में सब नहीं है संत मानव,
व्यक्ति भी है राष्ट्र भी है जो प्रकृति के घोर दानव,
दुष्ट-दानव-दलनकारी शक्ति का संचय करें हम,
आज पीड़ित मातृ-भू की बस यही आराधना है।।४।।

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