संग्राम जिन्दगी है




संग्राम जिन्दगी है, लड़ना उसे पड़ेगा।

जो लड़ नहीं सकेगा, आगे नहीं बढ़ेगा॥


इतिहास कुछ नहीं है- संघर्ष की कहानी।

राणा, शिवा, भगतसिंह- झाँसी की वीर रानी॥

कोई भी कायरों का, इतिहास क्यों पढ़ेगा?

जो लड़ नहीं सकेगा, आगे नहीं बढ़ेगा॥


आओ! लड़ें स्वयं से, कलुषों से कल्मषों से।

भोगों से वासना से, रोगों के राक्षसों से॥

कुन्दन वही बनेगा, जो आग पर चढ़ेगा॥

जो लड़ नहीं सकेगा, आगे नहीं बढ़ेगा॥


घेरा समाज को है, कुण्ठा कुरीतियों ने।

व्यसनों ने रूढ़ियों ने, निर्मम अनीतियों ने॥

इनकी चुनौतियों से, है कौन जो भिड़ेगा॥

जो लड़ नहीं सकेगा, आगे नहीं बढ़ेगा॥


चिन्तन, चरित्र में अब, विकृति बढ़ी हुई है।

चहुँ ओर कौरवों की, सेना, खड़ी हुई है॥

क्या पार्थ इन क्षणों भी, व्यामोह में पड़ेगा॥

जो लड़ नहीं सकेगा, आगे नहीं बढ़ेगा॥


संग्राम जिन्दगी है, लड़ना उसे पड़ेगा।

जो लड़ नहीं सकेगा, आगे नहीं बढ़ेगा॥



टिप्पणियाँ

bhawna ने कहा…
नमस्कार, क्या आप बता सकते हैं यह गीत किसकी रचना है?
bhawna ने कहा…
नमस्कार, क्या आप बता सकते हैं यह गीत किसकी रचना है?
गीतसंघम ने कहा…
यह गीत आपको अच्छा लगा इसके लिए आपको धन्यवाद।
गीत के रचनाकार के बारे मे जानकारी एकत्र कर रहा हू।
अतिशीघ्र आपको जानकारी प्राप्त हो जायेगी।
एक बार पुनः आपको बहुत बहुत धन्यवाद।