शाखा चलाने के सात सूत्र।
१. शाखा के १ घंटे पहले गटनायकी।
२. शाखा पूरे ६० मिनट नियमित कार्यक्रम के आनन्द व उत्साह के कार्यक्रम।
३. शाखा विकिर के बाद एकदम चले नहीं जाना, जिस को बुलाना चाहते थे यदि नही आया तो वह क्यों नहीं आया, इसकी चिंता करना उसको बुलाने जाना या किसी को भेजना।
४. नए स्वयंसेवकों को शाखा में नियमित करना चाहिए।
५. हमारी शाखा सर्वव्यापी एवं सर्वस्पर्शी होना चाहिए।
६. हमारी शाखा में समाज के प्रभावशाली लोग भी प्रभाव में बने रहना चाहिए। जैसे - नेता, विधायक, सांसद चेयरमैन, प्रतिष्ठित व्यापारी, सरकारी कर्मचारी इत्यादि।
७. शाखा में नैमित्तिक कार्यक्रम जैसे - नैपुण्य वर्ग, चंदन कार्यक्रम, वार्षिकोत्सव होने चाहिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता के गुण :
पाँव में चक्कर, मूह में शक्कर।
दिल में आग, वाणी में फाग ।।
अर्थात: संघ के कार्यकर्त्ता को संघकार्य हेतू अधिक भी चलना पड़े श्रम करना पड़ा तो इसके लिए सदैव तैयार रहे। मृदु भाषी हो। राष्ट्र के लिए हृदय में कुछ करने की इच्छा हो तथा उसके वाणी की शीतलता से अन्यान्य लोग सुखद अनुभव करे।

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