इतनी शक्ति हमें दे न दाता




इतनी शक्ति हमें देना दाता

मन का विश्वास कमजोर हो ना,
हम चले नेक रस्ते पर हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना ।।ध्रु।।

हर तरफ से जुल्म है बेबसी है
सहमा सहमा सा हर आदमी है
पाप का बोझ बढ़ता ही जाए
जाने कैसे यह धरती थमी है
बोझ ममता का तु ये उठा ले
तेरी रचना का यह अंत होना
हम चले नेक रस्ते पर हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना ।।१।।

दूर अज्ञान के हो अंधेरे
तू हमें ज्ञान की रोशनी दे
हर बुराई से बचते रहे हम
जितनी भी दे पूरी जिंदगी दे
बैर हो ना किसी का किसी से
भावना मन में बदले की हो ना
हम चले नेक रस्ते पर हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना ।।२।।

हम न सोचें हमें क्या मिला है
हम यह सोचे किया क्या है
हर पल हर बुराई से बचते रहे हम
जितनी भी दे भली जिंदगी दे
वैर होना किसी का किसी से
भावना मन में बदले की हो ना
हम चले नेक रस्ते पर हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना ।।३।।

हम न सोचें हमें क्या मिला है
हम यह सोचे किया क्या है अर्पण
फूल खुशियों के पाटे सभी को
सब का जीवन ही बन जाए मधुबन
अपनी करुणा को जब तू बहा दे
कर दे पावन हर एक मन का कोना
हम चले नेक रस्ते पर हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना ।।४।।


हम अंधेरे में है रोशनी दे
खो ना दे खुद को ही दुश्मनी से
हम सजा पाए अपने किए की
मौत भी हो तो सह लें खुशी से
कल जो गुजरा है फिर से गुजरे
आने वाला वो कल ऐसा हो ना
हम चले नेक रस्ते पर हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना 
इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना
हम चले नेक रस्ते पर हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना ।।५।।

टिप्पणियाँ