ओ हिंदू अब तू जाग



ओ हिंदू अब तू जाग, कंठा मे लागी फांसी।


ओ हिंदू अब तू जाग, कंठा मे लागी फांसी।
तू गहरी निद्रा सोयो, तेरा देश परायो होयो।
तू गहरी निद्रा सोयो, तेरा देश परायो होयो।
तूने अपना सब कुछ खोया, रे पड़ छोड़ो नहीं उदासी।
ओ हिंदू अब तू जाग, कंठा मे लागी फांसी ।।१।।

तेरे बनवासी भाई, बण रहा है आज इसाई।
कद तेरी ये तो अंगड़ाई, रे भारत के काम ना आई।
ओ हिंदू अब तू जाग, कंठा मे लागी फांसी ।।२।।

कोई गोरी गजनवी आया, तेरे मठ मंदिर सब ढाया।
ओ लुटी मथुरा माया, रे अयोध्या गयो काशी।
ओ हिंदू अब तू जाग, कंठा मे लागी फांसी ।।३।।

वह कश्मीर दी घाटी, जहरीला आशूवाटी।
तू नहीं उठायो लाठी, रे अब किया बहुत बडमासी।
ओ हिंदू अब तू जाग, कंठा मे लागी फांसी।
तू गहरी निद्रा सोयो, तेरा देश परायो होयो।
ओ हिंदू अब तू जाग, कंठा मे लागी फांसी।
ओ हिंदू अब तू जाग, कंठा मे लागी फांसी।
तू गहरी निद्रा सोयो, तेरा देश परायो होयो।
तू गहरी निद्रा सोयो, तेरा देश परायो होयो ।।४।।




टिप्पणियाँ