हरितालिका तीज 2022: शुभ मुहूर्त, हरितालिका तीज व्रत, पूजा विधि पारण का समय एवं महत्व जाने
० एक बार किसी व्यक्ति द्वारा हरितालिका तीज का पालन शुरू करने के बाद इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता है। इसलिए यह व्रत सोच - समझ कर ले। अगर किसी कारणवश यह व्रत ना कर पाए तो इसका उद्यापन कर घर में दूसरी महिला को दे दे।
० हरितालिका तीज पर निर्जला व्रत किया जाता है। इस दिन जल का त्याग करना पड़ता है। बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं के लिए फलाहार की जरूर छूट है।
० यदि सूतक आदि के कारण पूजा ना कर पाए तो भी व्रत करें और दूर बैठकर कथा सुननी चाहिए।
०हरितालिका तीज पर रात में जागता शिव - पार्वती की पूजा आराधना करनी चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन व्रतधारी को दिन और रात में सोने की मनाही है। रात्रि में जागरण कर भजन कीर्तन करें। महादेव और मां पार्वती का स्मरण करें।
हरितालिका तीज क्या है सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को पढ़ने वाले तीज हरितालिका तीज या हरियाली तीज कहलाती है। इसे श्रावणी तीज भी कहते हैं। यह मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज भी कहा जाता है। श्रावण मास में मुख्य रूप से मनाया जाने वाला पर्व है।
हरितालिका तीज व्रत का महत्व:
हरितालिका तीज के दिन व्रत रखा जाता है। जिसे हरितालिका तीज व्रत कहा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से महिलाएं करती है। सुहागन स्त्रियों के लिए हरितालिका तीज व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। सावन की हरियाली आती है। बागों में झूले पड़ने लगते हैं। तब हरितालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। हरितालिका तीज का उत्सव शिव और पार्वती के पुनर्मिलन के लिए मनाया जाता है। हरितालिका तीज से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हरितालिका तीज व्रत के नियम:
० हरितालिका तीज व्रत के दौरान पानी नहीं पीना चाहिए।
० एक बार किसी व्यक्ति द्वारा हरितालिका तीज का पालन शुरू करने के बाद इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता है। इसलिए यह व्रत सोच - समझ कर ले। अगर किसी कारणवश यह व्रत ना कर पाए तो इसका उद्यापन कर घर में दूसरी महिला को दे दे।
० हरितालिका तीज पर निर्जला व्रत किया जाता है। इस दिन जल का त्याग करना पड़ता है। बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं के लिए फलाहार की जरूर छूट है।
० यदि सूतक आदि के कारण पूजा ना कर पाए तो भी व्रत करें और दूर बैठकर कथा सुननी चाहिए।
०हरितालिका तीज पर रात में जागता शिव - पार्वती की पूजा आराधना करनी चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन व्रतधारी को दिन और रात में सोने की मनाही है। रात्रि में जागरण कर भजन कीर्तन करें। महादेव और मां पार्वती का स्मरण करें।
हरितालिका तीज व्रत पूजा विधि:
भाद्रपद में शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को हरितालिका तीज व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर पूजा की जाती हैं। विवाहित महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए जबकि अविवाहित लड़कियां अपने पसंद के साथी की कामना के लिए यह व्रत करती हैं।
हरितालिका तीज शुभ मुहूर्त कब है?
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हरितालिका तीज इस बार 30 अगस्त को है। तृतीया तिथि 29 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 20 मिनट से है। तृतीया तिथि 30 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। प्रातः काल हरितालिका पूजा का मुहूर्त 30 अगस्त सुबह 5 बजकर 58 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। शाम को पूजा का मुहूर्त 6 बज कर 33 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक प्रदोष काल में है। तीज व्रत का पारण - 31 अगस्त को किया जाएगा।
हरितालिका तीज व्रत की पौराणिक मान्यता:
हरितालिका तीज पर्व भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन को समर्पित है। एक आधत्मिक तथ्य के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की थी। हिमालय पर गंगा नदी के किनारे देवी पार्वती ने घोर तपस्या की। देवी की ऐसी दशा देखकर उनके पिता हिमालय भी उदास हो गए। एक दिन भगवान विष्णु की ओर से महर्षि नारद विवाह का प्रस्ताव लेकर आए। लेकिन जब देवी पार्वती को इस बात का पता चला तो वह विलाप करने लगी। देवी ने अपनी महिला साथी से कहा कि भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए और तपस्या कर रही है। इसके बाद उन्होंने खुद को भगवान शिव की आराधना में विसर्जित कर दिया। इस दौरान भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया विधि के हस्त नक्षत्र में देवी पार्वती ने रेत से शिवलिंग बनाया और उसके बाद वह भगवान शिव की पूजा में करने लगीं। देवी पार्वती की घोर तपस्या को देखकर भगवान शिव अपने दिव्य रूप में उनके सामने प्रकट हुए। देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से, अविवाहित कन्याएं और विवाहित महिलाओं द्वारा हरितालिका तीज व्रत मनाया जाता है। इस प्रकार इस व्रत के माध्यम से में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करके उनका आशीर्वाद भी लेते हैं।

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