हिंदू राष्ट्र की अनंत शक्ति जग रही



गण गीत 

हिंदू राष्ट्र की अनंत शक्ति जग रही।
आर्य देश की स्वदेश भक्ति जग रही।।ध्रु.।।

ज्योतिर्मय उषाकाल आ रहा, 
मोहयुक्त तिमिर जाल जल रहा। 
वह परानुकरण की मोह रात्रि ढल रही।।
हिंदू राष्ट्र की अनंत शक्ति जग रही।।१।।
 
प्रलयंकर यज्ञ जो चल रहा,
जन-उर का पाप-कलुष जल रहा।
भेद-भाव की महान-भित्ति गिर रही।।
हिंदू राष्ट्र की अनंत शक्ति जग रही।।२।।

आत्मज्ञानमय प्रकाश छा रहा,
सुप्त सत्व-बल शनै शनै आ रहा।
घोर मनोदाश्य से विमुक्त मिली गई।।
हिंदू राष्ट्र की अनंत शक्ति जग रही।।३।।

सावधान पांचजन्य बज रहा,
सावधान गांडीव तन रहा।
मदन-दहन  की तृतीय दृष्टि तन गई।।
हिंदू राष्ट्र की अनंत शक्ति जग रही।।
आर्य देश की स्वदेश भक्ति जग रही।।४।।

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