श्रद्धामय विश्वास बढ़ाकर, सामाजिक सद्भाव जगाएं।
अपने प्रेम परिश्रम के बल, भारत में नव सूर्य उगाएं ।।
जाग रहा है जन-गण-मन! निश्चित होगा परिवर्तन.........
शुद्ध सनातन परंपरामय, प्रेम भरा व्यवहार रहे।
ऋषि मुनियों की शिक्षाओं पर चलने का संस्कार रहे।
राह रपटती इस दुनिया में, कुल कुटुंब का संरक्षण।।
निश्चित होगा परिवर्तन……
सब समाज अंगान परस्पर, छुआछूत लवलेश ना हो।
प्रीति प्रीति भर गहन सभी में, भेदभाव अवशेष ना हो।
बने परस्पर पूरक पोषण, हृदयों में रसदार सृजन।।
निश्चित होगा परिवर्तन…………
हरी भरी हो धरती अपनी, मिट्टी का भी हो पोषण। पंचतत्व की मंगल महिमा, दिव्य धरा के आभूषण।।पुरखों के विज्ञान धर्म की, परंपरा का करें व्रत।।निश्चित होगा परिवर्तन ……
स्वाभिमान भर, भाव स्वदेशी, स्वत्व बोध का ले आधार। परहित यान परस्पर पूरक, जन जीवन का शिष्टाचार।। विश्व मंच पर भारत मां के, यश की हो अनुगूॅज सघन।।........
निश्चित होगा परिवर्तन
निश्चित होगा परिवर्तन
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