आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की



आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की।।

मुकुटसम हिमगिरिवर सोहे,
चरण को रत्नाकर धोए,
देवता कण-कण में जाते
वेद के छंद, ज्ञान के कंद, करें आनंद,
शस्यश्यामल ऋषिजननी की ।।१।। 
जगत के भाग्य विधाता की।
आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की।।

जगत से यह लगती न्यारी,
बनी है इसकी छवि प्यारी,
कि दुनिया झूम उठे सारी,
देखकर झलक, झुकी है पलक, बढ़ी है ललक,
कृपा बरसे जहां दाता की ।।२।।
जगत के भाग्य विधाता की।
आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की।।

पले जहां रघुकुल भूषण राम,
बजाए बंसी जहां घनश्याम,
जहां पग-पग पर तीरथ धाम,
अनेकों पंथ सहस्त्रों संत, विविध सद्ग्रंथ
सगुण-साकार जगन्मा की ।।३।।
जगत के भाग्य विधाता की।
आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की।।

गोद गंगा-यमुना लहरें,
भगवा फहर-फहर फहरे,
तिरंगा लहर-लहर लहरे,
लगे हैं घाव बहुत गहरे,
हुए हैं खण्ड, करेंगे अखण्ड, यत्न कर चण्ड
वर्समंगल वत्सल मां की ।।४।।
जगत के भाग्य विधाता की।
आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की।।

बढ़ाया संतो ने सम्मान,
किया वीरों ने जीवनदान,
हिंदुत्व में निहित है प्राण,
चलेंगे साथ, हाथ में हाथ, उठाकर माथा,
शपथ गीता-गौ माता की ।।५।।
जगत के भाग्य विधाता की।
आरती भारत माता की, जगत के भाग्य विधाता की।।

           || भारत माता की जय..... वंदे मातरम ||

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