Lesson -1 टीम वर्क तैयार करें
संगठन की दुनिया में अकेला कौन सफल हो सकता है, कोई नहीं। हम जैसे सामान्य लोगों को ऐसे सा कर्मियों और सहयोगियों की आवश्यकता होती है जो किसी साझा लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपनी प्रतिभा, रचनात्मकता, ऊर्जा, प्रेरकता और सहयोग प्रदान करते हैं।
आज के संगठनों में बेहतर परिणाम देने के लिए टीम वर्क ही एक सफल तरीका रह गया है। सिर्फ अपने बलबूते पर काम करने वाले लोग आज भी निश्चित रूप से बुद्धिमत्तापूर्ण विचारों के साथ मौजूद है और वे अंतर्दृष्टि से भरे निर्णय ले रहे हैं, परंतु अक्सर उनके विचार और निर्णय एक टीम द्वारा लागू किए जाते हैं।
आइए अब एक टीम की विशेषताओं को परिभाषित करें। एक टीम के पास स्पष्ट साझा लक्ष्य होता है, जिसे उसका हर सदस्य समझता है और उस पर भरोसा करता है। यह लक्ष्य संगठन संबंधी नई प्रक्रिया का विकास करने या संगठन के विभिन्न इकाइयों में से किसी एक का प्रबंध करना कुछ भी हो सकता है। लक्ष्य कैसा भी हो उसे हासिल करना ही टीम के अस्तित्व की वजह होती है।
टीम की एक और विशेषता यह है कि इसमें लक्ष्य हासिल करने के लिए कई लोग एकजुट होकर काम करते हैं। टीम के सदस्य एक दूसरे की दक्षताओं, नजरियों और प्रयोगों पर निर्भर रहते हैं। इस बारे में जब आप सोचे, तो पाएंगे कि एक संगठन के सदस्यों में कई लोग ऐसे होते हैं जिनके ज्ञान और विशेषज्ञता का स्तर अलग अलग होता है - वित्त विशेषज्ञ, योजनाकार, तकनीकी विशेषज्ञ, संगठन विशेषज्ञ,मानव व्यवहार विशेषज्ञ, सोशल मीडिया विशेषज्ञ। यहां तक कि समान कार्य करने वाले दो समूहों में भी अलग-अलग प्रतिभाओं वाले लोग होते हैं। जब विभिन्न नजरियों और प्रतिभाओं की यह मिली-जुली शक्ति प्रभावी और क्षमतापूर्ण तरीके से किसी समस्या का सामना करती है, तब बेहतर परिणाम आते हैं।
अंततः जब एक टीम अपने लक्ष्य पर पहुंच जाती है, तब उसके सभी सदस्यों को पारिश्रमिक मिलता है। उपलब्धियों में हिस्सेदारी होती है, पुरस्कार वितरित किए जाते हैं और टीम का हर सदस्य जीत जीतता है।
टीम की जरूरत क्यों है? अध्ययनों से लगातार यह पता चलता है कि व्यक्तिगत कार्यों के बजाय टीम द्वारा लिए गए निर्णयों की गुणवत्ता और रचनात्मकता का स्तर अपेक्षाकृत बेहतर होता है। एक बेहतर टीम तेजी से रचनात्मक, बुद्धिमत्तापूर्ण, निश्चित और अनुकूल परिणाम देती है। मूल बात यह है कि कोई भी अकेला व्यक्ति ऐसे परिणाम नहीं दे सकता। एक साझा लक्ष्य हासिल करने के लिए लोगों को आपस में विचार बांटने की जरूरत पड़ती ही है।
टीम वर्क तैयार करने का एक पक्ष यह है कि सभी सदस्य एक बात के प्रति पूरी तरह सतर्क रहे कि विचार कैसे अभिव्यक्त किए जा रहे हैं। क्या टीम के सदस्य उन विचारों को सुन और अपना रहे हैं और टीम कैसे काम कर रही है। सफलता पाने के लिए टीम का अपनी कार्यप्रणाली के प्रति सचेत रहना बेहद जरूरी है।
ध्यानाकर्षण हेतु तथ्य:
- जो टीम विश्वस्तरीय रचना बनना चाहती है उसे ठहरकर आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि टीम का हर सदस्य कैसा काम कर रहा है। आत्मनिरीक्षण से ही सुधार आता है।
- याद रखें, टीम की क्षमताओं को निखारने के कई तरीके हैं। इन तरीकों को टीम द्वारा सीखा और अमल में लाया जा सकता है इन्हीं सब बातों के लिए यह निबन्ध लिखी गई है।
- सामूहिक प्रयत्नों के लिए व्यक्तिगत प्रतिबद्धता ही टीम वर्क होती है जो संगठन, सभ्यता और सामाजिकता का निर्माण करती है।
Lesson - 2 टीम के स्पष्ट लक्ष्य बनाएं
अपेक्षा करें कि टीम का प्रत्येक सदस्य जानता हो कि क्या करना है
लक्ष्य के बिना टीम उस जहाज की तरह होती है जिसकी कोई मंजिल ही ना हो। अलंकारिक भाषा में कहें तो ऐसी टीम के तैरने के लिए समुद्र तो होता है, परंतु वह कहीं नहीं पहुंच पाती है। वह अंतहीन बैठकों, संतोषजनक चर्चाओं और आधे अधूरे मन से लिये गए निर्णयों से उलझ कर रह जाती है। हर टीम को एक ठोस और स्पष्ट लक्ष्य की जरूरत होती है। यह लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जिसे हासिल करना संभव हो। लक्ष्य बताता है कि टीम को क्या हासिल करना है। लक्ष्य से ही प्रेरणा मिलती है और लक्ष्य की प्रयासों तथा निर्णयों का आधार होता है।
याद रखें टीम का लक्ष्य हमेशा ऐसा होता है जिसे कोई अकेला व्यक्ति अपने दम पर हासिल नहीं कर सकता। इसलिए यह टीम का लक्ष्य होता है। चुकि टीम में बहुत से लोग शामिल होते हैं, इसलिए इस बात की संभावना भी होती है कि टीम के कुछ सदस्य शायद टीम के लक्ष्य का वास्तविक अर्थ ना जानते हो। यह एक समस्या है। मान ले किसी टीम का लक्ष्य है "आम जनता और संगठन के संबंधों को बेहतर बनाना।" इरादा प्रशंसनीय है परंतु क्या आपको लगता है कि टीम के हर सदस्य के लिए इस लक्ष्य का एक ही अर्थ होगा? इससे बेहतर लक्ष्य इस तरह बनाया जा सकता है - "आम जनता की शिकायतों को कम करना" "सेवा में विलंब की अवधि को कम करना" या "संतुष्टि स्तर को बढ़ाना।"
हर टीम को एक और मुश्किल चुनौती का सामना करना पड़ता है। टीम के सदस्यों को यह विश्वास होना चाहिए कि लक्ष्य सही है और उसे हासिल करना संभव है। अगर लोगों को यह महसूस होगा कि उन्हें कोई असंभव या बहुत कठिन काम करना है तो सदस्यो में टीम भावना का विकास हो ही नहीं सकता। और अगर टीम के किसी सदस्य को लगे की टीम का लक्ष्य ही सही नहीं है तब क्या होगा। मान लीजिए टीम का स्पष्ट लक्ष्य है कि, " आम जनता में देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ावा देना" परंतु अगर टीम का कोई सदस्य यह सोचे कि आम जनता में देशभक्ति और राष्ट्रीय उद्यान की भावना को बढ़ाने का यह कोई सही समय नहीं है और इस कार्य से भी जरूरी कार्य भी करने है, तब क्या होगा? बेहतर होगा कि टीम अपनी यात्रा शुरू करने से पहले लक्ष्य के बारे में अपने मतभेदों का पता लगाकर उन्हें दूर कर ले।
ध्यानाकर्षण हेतु तथ्य
यह सुनिश्चित करें कि लक्ष्य टीम के लिए लाभकारी हो।
संक्षिप्त लक्ष्य बनाएं छोटा, स्पष्ट, कार्य-केन्द्रित और निश्चित लक्ष्य बनाएं। अगर टीम इसे स्पष्टता से देख नहीं पाएगी तो यह इसे हासिल ही नहीं कर पाएगी।
हर सदस्य से पूछे कि लक्ष्य क्या है। सदस्यों के जवाबों से पता चल जाएगा कि इस बात को कितना समझ पाए हैं कि टीम के लक्ष्य का परिणाम क्या होना चाहिए।
सफलता की संभावना की जांच करें। टीम के पास लक्ष्य पाने की योग्यता, संसाधन और संकल्प प्रचुरता में होने पर ही वह सफल हो सकती है।
सिर्फ योजना के द्वारा ही हम अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। हमें अपनी योजना में प्रबल विश्वास होना चाहिए और हमें इसके अनुरूप तीव्रता से काम करना चाहिए। सफलता पाने का इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
Lesson -3 टीम के सदस्यों की योग्यताएं और जिम्मेदारियां स्पष्ट करें
एक ही दिशा में आगे बढ़े
टीम का प्रत्येक सदस्य एक खिलाड़ी की तरह होता है, जो लक्ष्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निभाता है। इसका मतलब है कि टीम के हर सदस्य में टीम भावना होनी ही चाहिए क्योंकि सदस्यों की भूमिका के आधार पर ही टीम के प्रतिभा आंकी जाती है। टीम के सदस्य लक्ष्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभायें। इसके लिए उन्हें यह पता होना चाहिए कि आखिर टीम का लक्ष्य क्या है? इसके साथ ही उन्हें टीम के मूलभूत गुणों की भी जानकारी होनी चाहिए। यह गुण आमतौर पर सदस्यों के तकनीकी ज्ञान से कुछ हटकर होते हैं
इन गुणों की जानकारी से टीम की कार्यप्रणाली और अनुभव में काफी फर्क आ सकता है।
टीम की नीतियों तथा प्रक्रियाओं यानी टीम के संविधान का विकास, उसका पालन और उसे तय करने का काम उसके सदस्यों का निर्भर करता है। टीम के संविधान में वे नियम शामिल होते हैं, जिनमें टीम की बैठके, बैठकों का एजेंडा, जैसी बातों के अलावा मुश्किल दौर का सामना करने के तरीके जैसे गंभीर मसलों का जिक्र होता है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि टीम के प्रत्येक सदस्य को इन मूलभूत नियमों की जानकारी हो।
टीम के सदस्यों के बीच सहयोग भरा माहौल बनाने की भी जरूरत होती है। एक ऐसा माहौल, जहां मजाक उड़ने के डर के बिना बेझिझक अपने विचारों को बताया जा सके, उसका विकल्प तैयार किया जाए और रचनात्मक चर्चा हो। ये सहयोगी विचार ही टीम वर्क का सार है। टीम वर्क का मतलब खुली और बेबाक बातचीत के मार्फत विचारों का विकास करना है। इसलिए टीम के सदस्यों को मिल-जुल कर प्रत्येक को अवसर देना चाहिए।
एक बार विचार सामने आने के बाद अब टीम के सदस्यों को निर्णय तक पहुंचने की राह खोजनी होती है। किसी भी टीम में निर्णय लेने का सर्वोत्तम तरीका सर्वसम्मति है। इसका मतलब है कि सारे मुद्दों को स्पष्ट कर देने तक बातें हो, इसके बाद समस्याओं और मतभेदों पर एक साथ नजरिया विकसित किया जाए, ताकि परिस्थितियों के अनुरूप बेहतरीन निर्णय लिया जा सके
आखिर में, सदस्यों को टीम में पैदा होने वाले आम मतभेदों और असहमतियों से पार पाने में सक्षम होना चाहिए। असहमति को विवाद में बदलने के बजाय उसे एक ऐसे अवश्य के रूप में लिया जाना चाहिए, जो मतभेदों को सामने लाने और समस्या के बारे में कई नजरियों से सोचने का मौका देती है। वैसे भी एक टीम में वाद विवाद से अंततः किसी की भी जीत नहीं होती है।
इस तरह से संविधान, सहयोग, सर्वसम्मति और विवादों का प्रबंधन टीम के वे अनूठे मूलभूत गुण है, जिनसे टीम के प्रत्येक सदस्य को परिचित होना चाहिए और इन्हें अपनी आदत में ढाल देना चाहिए।
टीम के सदस्यों को इस तरह तैयार करें:
टीम को मूलभूत गुण सिखाए: टीम का प्रत्येक सदस्य अपने हिस्से का तकनीकी कार्य करना तो अच्छी तरह जानता है, पर उसमें टीम के मूलभूत गुण विकसित करने की जरूरत होती है। इसके लिए प्रत्येक सदस्य को आवश्यक मार्गदर्शन और अभ्यास की परिस्थितियां उपलब्ध कराएं।
फीडबैक दें: टीम के गुणों को एक रात में सीख पाना असंभव है। इसलिए टीम के सदस्यों को यह गुण अपनाने के लिए पर्याप्त समय दें। बेहतर होगा कि टीम का हर सदस्य इन गुणों का अपनाने के लिए दूसरों द्वारा किए जा रहे व्यावहारिक प्रयोगों पर नजर रखें और जरूरत के मुताबिक सलाह देकर एक दूसरे की मदद करे।
विशेषज्ञ सलाह की जरूरत: टीम के मूलभूत गुणों को किसी प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही सीखा जा सकता है। ऐसे में किसी विशेषज्ञ को अपनी टीम की बैठकों में बुलाए और उसे निरीक्षण करने तथा प्रत्येक सदस्य का निजी रूप से सलाह देने को कहें।
इस मंत्र का हमेशा ध्यान रखे हैं कि "साथ जुड़ना शुरुआत है साथ रहना प्रगति है और साथ काम करना सफलता है"
Lesson - 4 नियम बनाने के लिए समय निकालें
काम की शुरुआत सही ढंग से करें
आमतौर पर टीमें अपनी पहली ही बैठक में काम में जुट जाती है और यही पर वे सबसे बड़ी गलती कर बैठती है। दरअसल, टीम को सबसे पहले वह करना चाहिए, जो लक्ष्य पाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी हो। बाहरहाल, हर टीम के लिए सबसे पहले यह निश्चित करना जरूरी होता है कि साथ काम कैसे किया जाए। यह काम तब और महत्वपूर्ण हो जाता है, जब टीम नई-नई बनी हो।
दिशानिर्देशों अथवा संविधान के अभाव में टीम जल्दी ही असहयोग, तर्क-कुतर्क, निरुद्देश्य चर्चाओं या ऐसी ही कसरतों में उलझ सकती है। इस स्थिति में समय भी बेकार खर्च होगा और टीम के हाथ कुछ नहीं लगेगा। ऐसी स्थिति से बचने के लिए टीम को स्वयं का प्रबंधन करने के नियमों की जरूरत होती है। अब हम यह देखें कि यह नियम कैसे बनते हैं?
कुछ टीमें शुरुआत से ही अपने लिए नियम बना देती हैं कभी आप किसी स्कूल या स्वशासी समूह में रहे हो तो आपने देखा होगा कि इसमें प्रमुख, कमेटी प्रमुख, सचिव आज होते हैं तथा एजेंडा और मत विभाजन जैसे कायदे भी होते हैं। यह संसदीय नियम और व्यवस्थाएं परंपराओं से स्थापित होते हैं।
किसी कार्य समूह के लिए इस तरह के दिशानिर्देश बहुत कम औपचारिक हो सकते हैं, बहरहाल यह टीम को स्थिरता भी देते हैं। उदाहरण के लिए टीम की बैठकों की संख्या, उपस्थिति के नियम, तैयारी और बातचीत के तरीके आदि तय किए जा सकते हैं। कोई टीम यह नियम भी बना सकती है कि सदस्यों को प्रत्येक बैठक में उपस्थित होना जरूरी है और अगर कोई सदस्य लगातार दो बैठक में अनुपस्थित रहता है, तो अगली बैठक में आने से पहले उसे नियमित रूप से उपस्थित रहे किसी सदस्य से मिलकर पूरी जानकारी लेनी होगी। टीम अपने सभी सदस्यों के पास बैठक से पहले एजेंडा भेजने और बाद में परिणामों की रिपोर्ट भेजने का निर्णय कर सकती है। कोई टीम किसी सचिव या बैठक की जानकारी नोट करने वाले व्यक्ति को भी नियुक्त कर सकती है, जो चर्चाओं का पूरा ब्यौरा रखने की जिम्मेदारी निभाए।
नियम बनाने के अलावा टीम यह भी तय कर सकती है कि किसी विवादास्पद मुद्दे को समस्या बनने से पहले हल कैसे किया जाए उदाहरण के लिए, टीम के लिए बैठक के दौरान पैदा होने वाले विवादों का निपटारा करने के तरीकों पर विचार करना उपयोगी हो सकता है। टीम बैठक में विचारों के आदान-प्रदान के स्थान पर व्यावहारिक मामलों तथा तथ्य आधारित प्रस्तुति के लिए कमेटियां बनाने का निर्णय ले सकती है। टीम यह अपेक्षा भी रह सकती है कि उसके द्वारा लिए गए निर्णयों को प्रत्येक सदस्य को असहमत होने पर भी समर्थन करना होगा।
टीम अपनी जरूरत के हिसाब से कोई भी नियम बना सकती है: उदाहरण के लिए, टीम की बैठक में हर सदस्य की भागीदारी, टीम के कार्यों के लिए हर हफ्ते एक निश्चित समय देना, बैठक का स्थान, टीम के लंच के लिए मेनू आदि कुछ भी तय किया जा सकता है। कुछ मिलाकर टीम की बेहतरी के लिए कोई भी नियम बनाए जा सकते हैं, परंतु इन नियमों का बनाया जाना जरूरी है क्योंकि नियमों के अभाव में कोई भी प्रगति संदिग्ध हो सकती है।
ध्यानाकर्षक हेतु तथ्यः
- संविधान बनाएं: दुनिया के सभी देशों को चलाने के लिए संविधान है तो फिर आपकी टीम के लिए क्यों नहीं संविधान नियमों नीतियों सिद्धांतों और जीवन मूल्यों को स्थापित करता है।
- टीम की शुरुआत से ही नियम बनाएं: सबसे पहले यह सोचे कि आप टीम को किस तरह आगे बढ़ाना चाहते हैं अपने इन विचारों को नियमों का रूप दे।
- जीवन मूल्यों के साथ शुरुआत करें: टीम के सदस्यों से पूछे कि वह टीम से किस तरह के अनुभव चाहते हैं और हम अपेक्षा रखते हैं। सदस्यों की यही विचार में जीवन मूल्य है जिनका इस्तेमाल आप टीम के नियम बनाने में कर सकते हैं।
- सदैव याद रखें: एक सफल टीम जितने भी समस्याएं सुलझाती हैं वह भविष्य में जाकर नियम बन जाते हैं और बाद में अन्य नवीन टीमों के लिए उनकी समस्याएं सुलझाने के काम आती है।
Lesson - 5 भावी समस्याओं से बचें
क्या आप याद कर सकते हैं कि किसी टीम में रहते हुए आपकी उसमें न रहने की इच्छा हुई हो। ऐसा सबके साथ होता है टीम के सदस्यों को लगता है कि यह अपना समय बर्बाद कर रहे थे और यदि वे वहां से भाग सकते तो बैठे हो मैं आना बंद कर देते अफसोस की बात यह है कि इसी तरह की घटनाएं बार-बार होती है आप सोचते हैं कि लोग धीरे-धीरे सीख लेंगे।
ठीक है आप सीख सकते हैं जिस तरह की समस्याओं से टीम खासकर नई टीम का सामना होता है उसका अनुमान लगाया जा सकता है और अच्छी खबर यह है कि इन समस्याओं से बचा जा सकता है।
सामान्य रोगों से बचने के लिए यहां एक सूची और कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं।
महत्वपूर्ण लोग टीम में शामिल नहीं किए गए हैं: नई टीम जब कठिन विषयों पर विचार करना शुरू करती है तब इस तरह की समस्याएं सामने आती है। इससे बचने के लिए टीम बनाते समय ही सोच ले कि इसके कामों या आखिरी फैसलों से कौन प्रभावित होगा। इन लोगों को टीम में पूर्णकालिक सदस्य अथवा सलाहकार के रूप में शुरू से ही जगह दी जानी चाहिए।
टीम की बैठकों में अनुशासनहीनता है: टीम के साथ अक्सर यह समस्या देखने में आती है कि सदस्य देर से और बिना तैयारी के आने लगते हैं। वे बातचीत में भाग नहीं लेते हैं तथा दूसरे कामों और गपशप में लगे रहते हैं। समस्याओं की यह सूची बहुत लंबी है। इस समस्या से बचने के लिए सदस्यों से की जाने वाली अपेक्षाओं को पहले ही स्पष्ट कर दिया जाए जाना चाहिए और नियमों के पालन पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए। बेहतर होगा कि टीम का संविधान लिखें, इसे छोटा रखें ताकि कोई भी कभी भी, उसे देख सके।
लंबी खत्म ना होने वाली चर्चाएं होना: लंबी, असंगत, बेसिर-पैर की बातों और कुछ बड़बोलो तक सीमित चर्चाएं किसी भी टीम की भावना को नष्ट कर सकती है। इससे बचने का सुझाव है कि एक प्रक्रिया और एजेंडा अपनाया जाए। यह प्रक्रिया पुराने संगठन, नए संगठन या दूसरे संगठन से संबंधित हो सकती है। इसके अलावा किसी समस्या पर केंद्रित वक्तव्य के साथ शुरुआत कर और अधिक व्यवस्थित तरीके से विकल्पों का परीक्षण किया जा सकता है। वैसे भी निर्णय भविष्य के आंकलन और कार्य के भावी परिणाम का अंदाजा लगाकर किए जाते हैं। अगर आप इस बिंदु पर टीम का ध्यान केंद्रित करेंगे तो चर्चाएं अधिक व्यवस्थित हो सकते हैं।
हावी होने वाले सदस्य : अक्सर ऐसा देखने में आता है कि बैठक में पूरे समय एक या दो सदस्य बोलते रहते हैं। वे बिना रुके बेबाक रूप से विचार व्यक्त करते रहते हैं और टीम प्रमुख के हर संभव प्रयास के बावजूद बातचीत को अपने आसपास ही केंद्रित रखते हैं। ऐसी स्थिति में दूसरों को बातचीत में शामिल होने का अवसर देने के लिए सामान्य नियम अपनाएं। जैसे - लोगों को समूह बनाकर जवाब या समस्या का हल ढूंढने के लिए कहे।
इससे पहले कि जटिल और भावी समस्याएं आपकी टीम को अचरज में डाल दें इनसे निपटने के लिए यह नुस्खे अपनाएं :
- सामान्य समस्याओं को पहले ही पहचान ले: यदि इसमें कोई अच्छी खबर है, तो वह यह है की समस्याएं जानी पहचानी होती है और इन्हें पहले ही पहचाना जा सकता है। इन समस्याओं के हल होने की उम्मीद करें और अपनी टीम को अनोखी टीम ना माने। यदि वह ऐसा कर दिखाएं।
- कार्यवाही करें: इन समस्याओं का हल का संदेश देता है कि टीम क्षमता से, संगठित और उत्पादक होकर आगे बढ़ना चाहती है। इसलिए इन समस्याओं को अनसुलझे ना छोड़ें।
- सचेत रहें: टीम के प्रत्येक सदस्य की यह जिम्मेदारी होती है कि इस तरह की समस्याओं को टीम की प्रगति में बाधा ना बनने दें। अगर टीम गलत प्रक्रिया से शुरुआत करती है तो इन समस्याओं का सही हल खोजने के लिए सदस्यों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
ध्यानाकर्षक हेतु तथ्य :
- समस्या को अच्छी तरह से समझना उसका आधा समाधान है।
- भावी समस्याओं से बचने के लिए अतीत के पूर्वाग्रहों को भुला देना चाहिए।
Lesson - 6 टीम के संविधान का उपयोग करें
टीम को धीरज के साथ अपना ध्यान रखने दे।
कोई टीम मिल कर काम कैसे काम करना चाहती है, यह वर्णन टीम के संविधान द्वारा ही किया जा सकता है।सामान्यतः एक बुद्धिमान टीम अपनी पहली बैठक का समय संविधान बनाने में बिताती है, जिससे पता चलता है कि टीम के स्वरूप के बारे में सदस्य क्या चाहते हैं। संविधान के यही नियम काम के दौरान टीम को निर्देशित करते हैं और जब कुछ गलत होने लगेगा टीम को मार्गदर्शन देंगे।
परंतु टीम संविधान अपेक्षाएं तय करने के लिए सिर्फ एक बार की जाने वाली कवायद नहीं है। टीम के नियमों को एक जीवंत और शक्तिशाली विचार मानना चाहिए, जिनमें सिर्फ तभी बदलाव किया जा सके, जब टीम के सदस्यों को लगेगी टीम अपने उद्देश्यों से भटक रही है।
कोई टीम अपने संविधान का इस्तेमाल कैिस तरह से कर सकती है ?
हर बैठक के अंत में टीम के सदस्यों से पूछे कि उनके विचार में टीम कैसा काम कर रही है। यह जानने में 5 मिनट का समय लगाएं की टीम प्रक्रिया किस तरह काम कर रही है। संविधान को किसी मापक पैमाने की तरह इस्तेमाल करें।
टीम के लीडर या पदाधिकारी को कूटनीतिक और व्यक्तिगत रूप से टीम के संविधान का लगातार उल्लंघन करने वालों से यह पूछना चाहिए कि क्या वे जानते हैं कि टीम के बाकी सदस्य टीम को कैसे चलाना चाहते हैं ? साथ ही टीम के प्रति लोगों के समर्पण भाव की गहराई का पता भी लगाना चाहिए ?
अपनी टीम के संविधान की तुलना दूसरी टीम के संविधान से करें और देखें कि क्या उनमें ऐसे कोई विचार हैं, जिन्हें आप अपना सकते हैं ?
संकोच ना करें। जब भी आप टीम के नियमों का उल्लंघन होते देखे तो जरूर बोले। यह याद रखें कि टीम का हर सदस्य इस बात के लिए जिम्मेदार है कि टीम अपने लक्ष्य पाने के लिए अच्छा काम करें और बेहतर प्रदर्शन करें।
लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में जब टीम थोड़ी प्रगति कर ले, तब टीम की अपेक्षा और विचारों पर फिर से ध्यान दें। आप पाएंगे कि कुछ ऐसे नए क्षेत्र बन गए हैं, जिनके लिए नियम या स्पष्ट अपेक्षाएं निर्धारित करना जरूरी है। उदाहरण के लिए शुरुआती कुछ बैठकों में टीम को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि उपस्थिति भी एक समस्या बन सकती है। परंतु समय के साथ जब टीम अपने प्रोजेक्ट पर काम कर रही होती है, यह समस्या अचानक सामने आती है। इससे निपटना सीखें।
अग्रांकित तथ्यों पर ध्यान देकर टीम संविधान को एक जीवंत दस्तावेज बनाएं :
- इसके बारे में बात करने में समय लगाएं: टीम का संविधान बताता है कि टीम किस तरह काम करना चाहती है। टीम अपने वास्तविक अनुभवों के संदर्भ में अपनी अपेक्षाओं या संविधान पर जितनी बार विचार करती है, कि उतनी ही अधिक दक्ष हो जाती है।
- अगर यह काम ना करे, तो इसे बदल डाले: याद रखे, जैसे-जैसे टीम का काम करती जाती है, नई और अनजान समस्याएं आने लगेगी। यह इस बात का संकेत है कि अब संविधान के नवीनीकरण और पुनरीक्षण का समय आ गया है।
- दस्तावेज बनायें: जब संविधान लिखा हुआ होता है, तो टीम से ज्यादा गंभीरता से लेती है। टीम संविधान को वॉलेट कार्ड, पोस्टर स्टीकर या सदस्यों के सदस्यता रसीद के पत्र के पीछे लगाया जा सकता है।
- सफलता रोजमर्रा प्रयोग में लाए जाने वाले कुछ सहज अनुशासनों और प्रतिबद्धता का परिणाम है।
Lesson - 7 नए सदस्यों को जानकारी दें
यह स्थिति देखें : किसी टीम में शामिल हुआ एक नया सदस्य सदस्य अपने विभाग में एक निर्णय लागू कराने का प्रयास करता है। क्योंकि टीम के द्वारा लिया गया निर्णय कुछ नए सदस्य को सही नहीं लग रहा है। जिस निर्णय पर उसकी टीम ने संघर्ष किया था। अपने विभाग में इस निर्णय का जिक्र करते हुए वह नया सदस्य कहता है कि मुझे समझ नहीं आता कि ऐसा निर्णय कैसे लिया गया। यह काफी पिछड़ा हुआ निर्णय है। मैं शर्त लगाकर कह सकता हूं कि इसे लागू करने का तरीका बदलना पड़ेगा। यहां यह क्या हो रहा है ?
टीम के इस नये सदस्य ने एक नियम तोड़ा है: हम टीम की बैठक में सहमत हो सकते हैं पर एक बार निर्णय ले लिए जाने पर सभी को इसका समर्थन करना ही होता है। आखिर उसने ऐसा क्यों किया ?
साधारण जवाब है; उसे किसी ने भी टीम के नियम नहीं बताए।
आमतौर पर होता यह है कि नए सदस्यों को देखकर सीखना होता है कि टीम कैसे काम करती है। बैठकों में शामिल होकर ही नए सदस्य सीख पाते हैं कि कार्य संचालन किस प्रकार किया जाता है, कौन क्या काम करता है और टीम के सदस्यों के बीच आपसी व्यवहार का तरीका कैसा है। "प्रतीक्षा करें और देखें" का यह तरीका नए सदस्यों को कई महत्वपूर्ण बातें सिखा सकता है।पर फिर भी कई बातें अनदेखी और अनकही ही रह जाती है।
वास्तव में नए सदस्यों को यह अलग से समझाए जाने की जरूरत होती है कि टीम कैसे काम करती है, सहमति पर कैसे पहुंचा जाता है, व्यस्ततम समय कौन सा रहता है क्या कैसे किया जाना चाहिए। इसके अलावा टीम की सभी शर्तों और जीवन मूल्यों को भी समझने की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए अगर टीम के कुछ सदस्य अपने संकल्प पर खरे नहीं उतरते हैं तो, अन्य सदस्यों से क्या अपेक्षा की जाती है।
प्रत्येक टीम की अपनी एक संस्कृति और ढांचा होता है जो, टीम की कार्यप्रणाली को बताता है। एक स्मार्ट टीम द्वारा सदस्यों के व्यवहार को परिभाषित करे इस ढांचे को हमेशा सही आकार देने के प्रति सचेत रहती है।
वास्तव में टीम के लिए नए सदस्यों को अपनी संस्कृति और कार्यप्रणाली से परिचित कराना एक चुनौती की तरह होता है। उस स्थिति की कल्पना कीजिए, जब किसी टीम द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने के लिए जरूरी आंकड़ो और तथ्यों की प्रस्तुति के नियम से अनजान एक नया सदस्य जोश में आकर दूसरों के दृष्टिकोण और सिद्धांतों को अपनाने में लग जाता है। अब क्या होता है ? टीम के अनदेखे संघर्ष और लेटलतीफी में फंसने का खतरा पैदा हो जाता है।
टीम के संचालक प्रभावी बनाने के लिए अग्रांकित बातों पर ध्यान दें।
- सचेत रहे कि नए सदस्यों पर ध्यान देना जरूरी है: प्रत्येक टीम अनूठी होती है और उसके काम करने का अपना तरीका होता है नये सदस्यों को इसे समझने की जरूरत होती है।
- मूलभूत जानकारी से शुरुआत करें: नए सदस्यों को बताये कि बैठक का एजेंडा क्या होता है, बैठको में क्या होता है, सदस्यों से क्या अपेक्षा की जाती है और प्रत्येक तिमाही अथवा साल भर में कार्य चक्र क्या होता है।
- पहली बैठक के बाद विस्तृत जानकारी दें: टीम की बैठक के बाद टीम लीडर या अनुभवी सदस्य पूरी कार्रवाई की समीक्षा कर सकता है। इस तरह नए सदस्य को टीम के नियमों के प्रति न केवल जागरूक बनाया जा सकता है, बल्कि उसे टीम की राजनीति की समझ भी उपलब्ध कराई जा सकती है।
- अगर हमारा मस्तिष्क तैयार है तो सभी चीजें तैयार हो जाएंगे।
Lesson -8 सहयोग करें
सहयोग करें, सहयोग करें, सहयोग करें।
अपने लिए यह नियम बनाए।
समूह की समस्या और व्यक्तिगत समस्या का समाधान दो अलग बाते हैं। जब अकेला व्यक्ति किसी समस्या का समाधान खोजता है तो पहले वह समस्या के बारे में कल्पना करता है और विचार पैदा करने की कोशिश करता है। एक के बाद दूसरे विचार उसके दिमाग में आते रहते हैं और अंततः एक ऐसी स्थिति आती है, जब विचारों का आना रुक जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अकेले व्यक्ति का नजरिया समस्या के सीमित हलों की खोज से शुरू होता है।
उदाहरण के लिए किसी अजनबी शहर में आप सिर्फ एक नक्शे की मदद से बिंदु 'ए' से 'बी' तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। आपका लक्ष्य नक्शे पर काफी दूर नजर आता है। अब आप वहां तक कैसे जाएंगे? पैदल बस से या ट्रेन से। बस या ट्रेन पर की जानकारी आपके पास नहीं है, तो स्वाभाविक रूप से आप सब से सीधा रास्ता अपनाएंगे, आप पैदल जाएंगे।
देखा आपने? सीमित नजरिया होने से व्यक्ति के पास समस्या से सीमित समाधान होते हैं। इसके बजाय अगर आप किसी टीम से एक गली से गुजरने को कहते हैं, तो उनके पास इस समस्या का अलग नजरिया होगा। टीम में कोई न कोई सही हल खोज लेगा और यह हल उसके लिए उतना ही सटीक होगा।
इसलिए, टीम के उल्लेखनीय लाभों में से एक है सहयोग की शक्ति। जब कई लोग समस्या पर एक साथ मिलकर काम करते हैं, तो उनके भिन्न नजरिये, समझ, भिन्न लक्ष्य और ज्ञान मिलकर बेहतर समाधान खोज लेते हैं। यह बहुत आसान होता है।
सहयोग की कुंजी दूसरों के विचारों के लिए अपने दिमाग का दरवाजा खोल देना है। टीम की जिम्मेदारी एक ऐसा माहौल बनाने की होती है, जहां लोग बिना हिचकिचाहट या शर्म के अपने विचारों, ज्ञान, समझ यहां तक कि अपने उल-जुलूल विचारों को भी व्यक्त कर सकें।
टीम में जब सहयोग का माहौल होता है, तब सदस्य एक दूसरे की बात ध्यान से सुनते हैं। एक दूसरे के विचारों को पूरा करते हैं, उनमें सुधार करते हैं, उन्हें अस्वीकार करते हैं और फिर नए सिरे से नए विचार लाते हैं। टीम का आपसी सहयोग विचारों के वॉलीबॉल खेल के समान होता है।
ध्यानाकर्षण हेतु तथ्य:
- अपनी टीम में सहयोग के लिए जीवन मूल्यों का निर्माण करें।
- टीम के सदस्यों के पृष्ठभूमि एवं रुचि के अंतर को उभारें: अगर टीम के सारे सदस्य एक जैसे होंगे तो आखिरकार यह एक उबाऊ बन जाएगी। अगर सभी सदस्य एक दूसरे की भिन्न पृष्ठभूमि और रुचियों से परिचित होंगे, तो किसी विशिष्ट समस्या के अनुरूप योग्य व्यक्ति को मदद के लिए बुलाना आसान होगा।
- सहयोग के गुणों का अभ्यास करें: अपनी टीम को 2 मिनट में अपने संगठन का नया नारा बनाने के लिए कहे। अपने संगठन की उन्नति के लिए एक नया सुझाव निर्माण करने को कहें।
- आराम और मस्ती से रहें: बढ़िया सहयोग प्रतिस्पर्धात्मक खींचतान नहीं है। यह एक अच्छी टीम में ऐसा माहौल होना चाहिए, जो सदस्य अपने आधे अधूरे विचारों को भी बेहिचक पेश कर सकें, क्योंकि भले ही शुरुआत में यह विचार बेमतलब लगते हो, पर आगे चलकर यही एक चिंगारी साबित हो सकते हैं।
- हममें से कोई अकेले इतना स्मार्ट नहीं हो सकता, जितना कि हम सभी मिलकर हो सकते हैं।
टीम वर्क में सहयोग की भावना : टीम वर्क में सहयोग की भावना को दर्शाने के लिए एक लघु कथा प्रस्तुत है इसके माध्यम से आप टीमवर्क में सहयोग का महत्व बहुत अच्छी प्रकार से समझ सकते हैं।
एक बार पचास लोगों का ग्रुप...किसी मीटिंग में हिस्सा ले रहा था...
मीटिंग शुरू हुए अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि स्पीकर अचानक ही रुका और सभी पार्टिसिपेंट्स को गुब्बारे देते हुए बोला"...आप सभी को गुब्बारे पर इस मार्कर से अपना नाम लिखना है"...सभी ने ऐसा ही किया...
अब गुब्बारों को एक दुसरे कमरे में रख दिया गया...स्पीकर ने अब सभी को एक साथ कमरे में जाकर पांच मिनट के अंदर अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने के लिए कहा...
सारे पार्टिसिपेंट्स तेजी से रूम में घुसे और पागलों की तरह अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने लगे...
पर इस अफरा-तफरी में किसी को भी अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिल पा रहा था…
5 पांच मिनट बाद सभी को बाहर बुला लिया गया...
स्पीकर बोला...”अरे ! क्या हुआ आप सभी खाली हाथ क्यों हैं...? क्या किसी को अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिला"...?
नहीं...हमने बहुत ढूंढा पर हमेशा किसी और के नाम का ही गुब्बारा हाथ आया"...एक पार्टिसिपेंट कुछ मायूस होते हुए बोला..
“कोई बात नहीं आप लोग एक बार फिर कमरे में जाइये...पर इस बार जिसे जो भी गुब्बारा मिले उसे अपने हाथ में ले और उस व्यक्ति को दे दे जिसका नाम उस पर लिखा हुआ है"...स्पीकर ने निर्दश दिया...
एक बार फिर सभी पार्टिसिपेंट्स कमरे में गए पर इस बार सब शांत थे और कमरे में किसी तरह की अफरा - तफरी नहीं मची हुई थी...सभी ने एक दुसरे को उनके नाम के गुब्बारे दिए और तीन मिनट में ही बाहर निकले आये...
स्पीकर ने गम्भीर होते हुए कहा...
बिलकुल यही चीज हमारे जीवन में भी हो रही है...हर कोई अपने लिए ही जी रहा है...
उसे इससे कोई मतलब नहीं कि वह किस तरह औरों की मदद कर सकता है...वह तो बस पागलों की तरह अपनी ही खुशियां ढूंढ रहा है पर बहुत ढूंढने के बाद भी उसे कुछ नहीं मिलता...
हमारी ख़ुशी दूसरों की ख़ुशी में छिपी हुई है...
Lesson - 9 जीवन में नए विचार लाएं
अपनी बातों के प्रति सावधान रहें।
लोगों के पास हमेशा अच्छे विचार होते हैं, जो कभी-कभी रचनात्मक और अनूठे होते हैं। हाँ हर कोई रचनात्मक है। आप भले ही यह ना माने कि आप रचनात्मक प्रकृति के हैं पर वास्तव में आप रचनात्मक हैं। रचनात्मकता का मतलब सिर्फ कलाकार, कवि, या खुद को पेश करने में सक्षम होना नहीं है। उसका मतलब दूसरी चीजों में लगे रहने के बावजूद नए विचार पैदा करने के लायक होना। इनमें से कुछ विचार बिल्कुल अनूठे और अंतर्दृष्टि से भरे हो सकते हैं, जो आपको भी आश्चर्य में डाल सकते हैं। ऐसे विचार कहां से आते हैं ?
बचपन में हम एक काल्पनिक संसार में खेल कर सीखते हैं, जहां कई तरह के विचार होते हैं और हर चीज संभव लगती है। पर जब हम बड़े होते हैं तो समय के साथ उन विचारों को अपने मन में रखना सीखते हैं। बचपन और युवावस्था के बीच से से कई लोग संवेदनशील होना सीख जाते हैं। कभी-कभी बेहद संवेदनशील भी हो जाते हैं, तब उनके मन में यह बात आती है कि दूसरे लोग उनके विचारों और उनके प्रस्तुतीकरण के तरीके के बारे में क्या सोचते हैं। हम इस चिंता में भी डूबे रहते हैं कि जो चीज हमें आनंददायक और मजेदार लग रही है, वह दूसरों को शायद मूर्खतापूर्ण और निरर्थक लगे।
टीम द्वारा यह संदेश देना कि रचनात्मक विचारों की जरूरत नहीं है, एक मूर्खतापूर्ण और गैर जिम्मेदाराना काम है। जब टीम के सदस्य कहते हैं कि - "हम इस बात के लिए पहले ही प्रयास कर चुके हैं" या "क्या आप मजाक कर रहे हैं ?" या "यह वैसा नहीं है, जैसा हमारे दिमाग में है।" तो विचार दब जाते हैं।
दूसरी तरफ ऐसे कई तरीके हैं, जिनका उपयोग करके टीम अपने सदस्यों को उनके विचार व्यक्त करने और उन्हें जीवन में उतारने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।
इन्ही तरीकों में से एक अचूक तकनीकी और है कि लोग क्या कर रहे हैं, यह सुना जाए। यदि कोई व्यक्ति एक रोचक बात कह रहा है, तो उससे सवाल पूछे और उसके विचारों की थाह लें। पता करें कि इस रोचक टिप्पणी का आधार क्या है।
दूसरा तरीका यह है कि लोगों के विचारों का दायरा बढ़ाने के लिए उनसे पूछा जाए और जो विचार सामने हैं, उनसे अलग हटकर सोचने को कहा जाए। आमतौर पर अधिकांश लोग चुनौती से जाग जाते हैं। यदि आप लोगों से सहज तरीके से पूछते हैं, तो वे अधिक रचनात्मक होंगे और रोचक विचार पैदा करेंगे। यह ठीक वैसा ही है जैसे कि लोग रचनात्मक होने के लिए आपकी अनुमति का इंतजार कर रहे हो।
विचारों की गुणवत्ता के बजाय उनकी संख्या पर जोर दें, क्योंकि विचारों का संग्रह लोगों को विकल्पों पर बात करने का मौका देगा। अगर आपके दिमाग में विचार धीमी गति से आ रहे हैं, तो निराश ना हो, लोगों को उन विचारों पर बात करने के लिए थोड़े समय की जरूरत होती है। एक बार विचार व्यक्त हो जाए, तो उनमें सुधार किया जा सकता है।
विचारों की आलोचना से बचें क्योंकि वे मौलिक होते हैं। इसके बजाय इस बात पर ध्यान केंद्रित करें कि विचारों को कैसे सुधारा या इस्तेमाल किया जा सकता है। विचारों को पकड़ कर रखें और उनका हर कोण पहलू से परीक्षण करें।
ढेर सारे सवाल करें। हम किसी बंदिश में ना हो, तो क्या हो ? अगर हमारे असीमित बजट हो, तो क्या हो ? अगर हानि पर लाभ की तरह विचार किया जाए, तो क्या हो ? इस तरह के सवाल और ज्यादा विचारों को प्रोत्साहित करेंगे।
ध्यानाकर्षक हेतु तथ्य:
-: विचार उत्पन्न करने के लिए इस तरह सोचे :-
- टीम के सदस्यों से रचनात्मक होने को कहें: अगर लोगों को यह मालूम हो कि कुछ अलग और रोचक हल स्वीकार कर लिए जाएंगे, तो वे समस्यायों का जवाब रचनात्मक विचारों से देंगे।
- हंसी-मजाक करते रहे: एक टीम में सहयोग की भावना और रचनात्मक विचार सिर्फ हंसी-मजाक, चुटकुले और उत्साह से ही आ सकते हैं। इसे चलने दे।
- धैर्यवान बने: सहयोग का मतलब विचारों को आकार देना और मोड़ना है। इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है। अगर टीम में कहीं बाधा नजर आ रही है, तो थोड़ा रुके और इस पर कुछ समय बाद विचार करें।
- कई अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि: लोगों को सिर्फ एक आदेश से रचनात्मकता की ओर प्रेरित किया जा सकता है, और वह है- "रचनात्मक बने"
Lesson -10 रचनात्मकता को उभारे
अपनी टीम से महान विचारों की अपेक्षा न करें
आप अपनी व्यवस्था के बीच लोगों को अनोखे विचार विकसित करने के लिए तैयार कर सकते हैं। याद रखें, हर कोई रचनात्मक हो सकता है, इसके लिए बस थोड़े से अभ्यास की जरूरत होती है। एक बार आपकी टीम के सदस्य रचनात्मक सोचने का अभ्यास शुरू कर देंगे, तो उन्हें अंदाजा हो जाएगा कि उनसे क्या उम्मीद की जा रही है और उन में सर्वश्रेष्ठ सहयोगात्मक सोच विकसित होने लगेगी ।
रचनात्मकता को उभारने का एक साधारण तरीका यह है कि कुछ बेवकूफी भरे सामूहिक अभ्यास किए जाएं। हाँ छोटी-छोटी समस्याएं और ऐसी जिम्मेदारियां जो टीम की कल्पना शक्ति को बढ़ावा दें और जिनका कोई प्रत्यक्ष प्रभाव ना हो। वास्तविक समस्याओं से सामना होने पर वे आपकी टीम की रचनात्मकता को बढ़ा सकती हैं।
इससे पहले कि आपकी टीम नीचे बताए गए अभ्यासों के लिए प्रयास करें, आप उसके सदस्यों को जमीन से जोड़ने की कोशिश करें, टेबल खुशियां पीछे खिसका कर फर्श पर बैठने और कुछ व्यावहारिक माहौल शुरू करने और माहौल बदलने के लिए कहे। भले ही यह अभ्यास मौज-मस्ती से भरे और हल्के-फुल्के दिखाई देते हो, पर ये लोगों की कल्पनाशीलता को जगाते हैं। और जब लोग अपने नए विचार को सामने ला रहे हो, तो ऐसा चलने दे।
दूसरी तरफ टीम के अअनुत्पादक व्यावहारों को देखने के लिए भी तैयार रहें। ऐसी व्यवहार जो विकसित होने से पहले ही विचारों को कुचल देते हैं। अनुमान लगाना, थोपे जाने वाले निर्णय लेना, अनसुनी करना और इसी तरह के सभी व्यवहार टीम में नजर आ सकते हैं।
तो, वे अभ्यास कौन से हैं, जो आपकी टीम में सहयोग करने की प्रतिभा को जगा सकते हैं ? टीम के सदस्यों से अपने संस्थान के लिए एक नया नारा बनाने के लिए कहें और तय करें कि लोगों के वास्तविक मूल्यांकन और उनकी सोच को व्यक्त कर सकें।
उच्च प्रबंधन की अनुमति लिए बगैर टीम से कम खर्च वाले 100 ऐसे तरीके सुलझाने के लिए कहे जो जनता की संतुष्टि और संगठन की गुणवत्ता पढ़ाने के लिए हो।
टीम से "लियोनार्डो द विंची" की प्रसिद्ध पेंटिंग 'मोनालिसा' की मुस्कुराहट के पीछे छिपी वास्तविक कहानी बताने को कहें। सभी संभावित जवाबों की जांच करें और सबसे ज्यादा पसंद की गई यथा विचारोत्तेजक कहानी को कोई मजेदार इनाम दे।
कुछ पुरानी पत्रिका इकट्ठी करें और उनमें से कुछ चित्र काटकर उनका ढेर बनाए। टीम के सदस्यों से इन चित्रों को छाटने और इस क्रम में सजाने को कहे जो एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करे जो किसी न किसी प्रकार आपके संस्थान में आपकी टीम पर आकर खत्म होती हो। आपके संगठन से संबंधित भूत, भविष्य, वर्तमान के परिदृश्य को दिखाती हो। अगर आप वाकई मजा चाहते हैं तो एक कहानी बताने वाले व्यंग और कुछ चित्रों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ध्यानाकर्षक हेतु तथ्य :
- आपकी टीम के सदस्यः जब साथ हो तब उनसे रचनात्मकता का अभ्यास करने के लिए कहें।
- सहयोग का अभ्यास उसी तरह करें जैसे एक एथलीट खेल का करता है: इस काम को उन अभ्यासो के जरिए करें, जो आपकी टीम की रचनात्मक योग्यता को जगाते हो।
- सहयोग की भावना पढ़ाने के लिए माहौल बदले: निश्चित करें कि जब टीम नए विचार पैदा करने के लिए सहयोग कर रही हो, तब सदस्य आरामदायक स्थिति में हो। एक ही जगह बैठकर करने के बजाय सदस्यों को दूसरी जगह ले जाना थी एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
- व्यवहार पर निगाह रखे: हालांकि रचनात्मक सहयोग हंसी मजाक से भरपूर होना चाहिए, पर कुछ सदस्य विचारों को दबा सकते हैं या अपने निर्णय थोप सकते हैं।
- अंतर्मन को कुरेदें: लोगों के भीतर अच्छाइयों का झरना है, और यदि आप उसे कुरेदना शुरू कर देंगे, तो यह फूट पढ़ने के लिए हमेशा तैयार है।
Lesson - 11 ठोस निर्णय लें
मुद्दे के आसपास घूमते रहे
निर्णय लेना ही एक टीम की सार्थकता है। वह टीम किसी परियोजना के क्रियान्वयन या प्रक्रिया के प्रबंधन अथवा किसी नए विचार जैसे किसी भी काम के लिए बनाई गई हो, उसका मूलभूत काम निर्णय लेना होता है, जो एक विशेष परिणाम को प्रभावित करता है। जब आप इस पर विचार करेंगे, तो निर्णय लेना की एक टीम के प्रमुख मिशन के रूप में दिखाई देगा। क्या करना है, इस बारे में निर्णय लेना ही टीम का असल काम है।
समस्या यह है कि कई टीमें यह तो जानती हैं कि उन्हें निर्णय लेना है, लेकिन इस काम को प्रभावी और क्षमता पूर्ण बनाने के तरीके से भी अनजान रहती है। टीम में निर्णय लेने का काम अक्सर ढेर सारी चर्चाओं और बदलाओ के बीच भटक जाता है। इसमें समय ज्यादा बर्बाद होता है। इसलिए टीम के लिए निर्णय लेने में उलझने के बजाय इस बात पर गौर करना ज्यादा फायदेमंद होगा कि वास्तव में निर्णय लेने का मतलब क्या है।
निर्णय लेना यह तय करने की कोशिश है कि किसी परिस्थिति या समस्या के मामले में क्या किया जाना चाहिए? चुनौतीपूर्ण बात यह है कि निर्णय का परिणाम भविष्य की परतों में छुपा रहता है। क्या हमें पहल करनी चाहिए? यह पहल किस हद तक होनी चाहिए? हम एक महत्वपूर्ण समस्या को कैसे पहचान सकते हैं? अगर हम किसी प्रक्रिया से एक चरण निकाल दे, तो क्या फर्क पड़ेगा? इन सारे सवालों से इस बात का अंदाजा लगाना संभव होता है कि अगर हम एक्स, वाई या जेड निर्णय लेते लेंगे, तो क्या होगा?
इस मामले में निर्णय लेने के बारे में चर्चा इस बात पर केंद्रित होनी चाहिए कि वैकल्पिक कदम भावी परिणामों पर कैसा असर डालेंगे? इस संभावित कदम का भावी परिणाम क्या होगा? इस बारे में हम निश्चय कैसे कर सकते हैं? सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि हम चीजों को किस तरह व्यवस्थित करें कि परिणाम हमारी इच्छा अनुसार प्राप्त हो सके।
एक टीम में निर्णय से संबंधित अधिकतर चर्चाएं जोखिम के अनजाने तथ्य को पहचानने और कम करने पर केंद्रित होनी चाहिए। इस मामले में सूचना के तीन स्रोत मदद मदद कर सकते हैं। पहले स्रोत में तथ्य, आंकड़े, प्रवृत्तियां तथा किसी विश्वसनीय व्यक्ति से प्राप्त होने वाली ठोस सूचना शामिल है, जो भावी परिणाम के बारे में निजी नजरिया उपलब्ध करा सकते हैं। नोट करें कि ऐसे आंकड़े अतीत से बड़ी मात्रा में उपलब्ध हो जाते हैं। आंकड़ों का एक अन्य स्रोत विभिन्न परीक्षओं का परिणाम और प्रोटोटाइप का इस्तेमाल है। इसका मतलब ऐसे आंकड़े से आंकड़ों से हैं, जो प्रयोगों से निकले हो। आंकड़ों का तीसरा स्रोत सहज ज्ञान वाली "छठी इंद्रिय" है जो चुनिंदा लोगों के पास होती है। यह एक ऐसा ज्ञान है जो अनुभव और गहरी समझ से आता है।
इस तरह एक टीम के लिए निर्णय लेने का बेहतरीन तरीका जोखिम को पहचानने के लिए आंकड़ों और सहज ज्ञान का इस्तेमाल करना, अवांछित परिणामों को कम करने के तरीके खोजना और बेहतरीन विकल्प का चुनाव करना है।
एक टीम द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया को स्पष्ट करने के लिए जरूरी है।
- निर्णयों को भविष्य के अनुमानों के श्रृंखला के रूप में ना देखे: निर्णय लेते समय आपकी टीम को खुद से यह महत्वपूर्ण सवाल पूछना चाहिए कि अगर हम ऐसा करेंगे, तो क्या होगा?
- आंकड़ों के माध्यम से टीम को विभिन्न कदमों के परिणाम तय करने में मदद करें: विभिन्न नजरियों पर भरोसा करना मददगार हो सकता है, परंतु जोखिम को कम करने के लिए की इतिहास या प्रयोगों से प्राप्त आंकड़ों पर विचार करें।
- आंकड़े ना हो, तो सहज ज्ञान का उपयोग करें: भविष्य के बारे में सवाल पूछने का क्रम तब तक जारी रखें, जब तक की टीम विभिन्न विकल्पों से संभावित परिणामों को समझ ले।
"एक बार जब आप निर्णय लेते हैं तो ब्रह्मांड अवश्य संभव बनाने में झुक जाता है"
Lesson - 12 समझौता न करें
समझौता व स्थिति है, जब कोई टीम किसी निर्णय पर पहुंच तो जाती है, पर उसके कुछ सदस्य या तो उस निर्णय से नाखुश होते अथवा उसकी परवाह नहीं करते?
समझौते को व्यक्त करने के लिए कुछ शब्द है - आधे-अधूरे मन से, रियायत देने के साथ अथवा अनिच्छापूर्वक किया गया काम?
उदाहरण के लिए एक टीम की कल्पना कीजिए, जो किसी समूह विशेष के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार कर रही है। टीम का बहुमत मानता है कि कार्यक्रम दो दिन का होना चाहिए, जबकि अल्पमत के अनुसार प्रशिक्षण के लिए दो घंटे पर्याप्त है। विचारों के गहन टकराव के बीच यह समझौता होता है कि कार्यक्रम डेढ़ दिन का होगा। अब दोनों टीमें कैसा महसूस करेंगी? बहुमत सोचेगा कि अल्पमत की सुनी गई, परंतु चीजें ज्यादा नहीं बदली। अल्पमत शायद इस परिवर्तन को प्रतीकात्मक रूप से बेहतर माने। इस तरह एक समूह स्वयं को जीता हुआ मानता है, जबकि दूसरा इसे अपनी हार मानता है।
टीम द्वारा निर्णयों पर समझौता करने की वजह यह है कि आमतौर पर प्रगति को बनाए रखने का यह उचित रास्ता होता है। वास्तव में समय के दबाव में कुछ निर्णयों में समझौता करना पड़ता है। यह दबाव तब बनता है, जब सदस्य भिन्न नजरिया रखते हैं और अपनी सोच में बदलाव न लाकर दूसरों को बदलने की कोशिश करने लगते हैं। ऐसे में समझौतापूर्ण निर्णय लेकर टीम आगे बढ़ सकती है।
समझौते वाले निर्णयों में कई समस्याएं भी होती है। निश्चित रूप से इनके परिणाम आदर्श से कम स्तर के होते हैं। कहा जाता है कि ऊंट समझौते के अनुरूप बनाया गया जानवर है। संभव है कि डेढ़ दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम एकदम सही रहा हो, पर निश्चित रूप से उसमें सभी जरूरी मुद्दों को शामिल नहीं किया जा सका होगा।
ज्यादा बड़ी समस्या यह है कि इस तरह के निर्णय प्रतिबद्धता की कठिनाई खड़ी करते हैं। समझौतावादी निर्णय के पीछे टीम के सदस्य शत-प्रतिशत मन से प्रतिबद्ध नहीं होते और वे उसे समर्थन देने में उत्साह की कमी प्रदर्शित करते हैं। ऐसे में निर्णय को लागू करना भी एक समस्या हो सकती है।
समझौतापरक निर्णय टीम में कभी-कभी ही उपयोगी होते हैं, इस पर विचार करें :
समझौते को पहचाने : निर्णय लेने से पहले टीम को अपने सदस्यों से पूछना चाहिए कि कोई भी उस निर्णय में कमी अथवा आधे-अधूरे मन से बहुमत तो मौजूद नहीं कर रहा। समझौता तभी सही साबित हो सकता है, जब सदस्य परिणाम को स्वीकार्य मानते हैं। अगर ऐसा नहीं है, तो निर्णय पर पुनर्विचार का मौका शेष रहता है।
निर्णय लागू होने पर नजर रखें : यह निश्चित करें कि समझौते के जरिए लिए गए निर्णय पर्याप्त प्रभावशीलता और क्षमता से लागू हो रहे हैं। यही वह स्थिति है, जब समझौता पर निर्णय खतरनाक हो जाते हैं।
बेहतरीन तरीके से निर्णय लें : समझौते को अपनी टीम की आदत ना बनने दें। जिससे सदस्य उपेक्षित या अप्रभावी महसूस करते हैं तथा उनका उत्साह और प्रतिबद्धता भी कम होने लगती है। ऐसी स्थिति में निर्णय लेने के बेहतर तरीके सर्वसम्मति के लिए प्रयास करें।
"समझौता एक अच्छी छतरी, लेकिन एक कमजोर छत है; यह अस्थाई प्रगति है, जो राजनीति में बुद्धिमानी मानी जाती है परंतु राजनीति राजनीतिज्ञता में निश्चित रूप से बेवकूफी है।"
Lesson - 13 सर्वसम्मति बनाने के लिए प्रयास करें
समझौता करते रहे
कोई टीम ऐसे कई निर्णय लेती है, जिसमें सामूहिक प्रतिबद्धता की जरूरत होती है। एक ऐसी टीम की कल्पना कीजिए, जिसे किसी कंपनी के कर्मचारियों के लिए लचीला वर्क सेड्यूल तैयार करने का काम दिया गया है। यह शेड्यूल एक दिन में चार से दस घंटे, चार से सात घंटे, बारह घंटे या एक सप्ताह छोड़कर पैंतीस घंटे या पैंतालीस घंटे प्रति सप्ताह होना चाहिए। प्रत्येक विकल्प के फायदे और नुकसान है, कोई भी एकदम ठीक नहीं है।
इस निर्णय को लागू करते समय आपकी टीम के पूरे समर्थन और सहयोग की जरूरत होगी। इस तरह का निर्णय आपकी टीम की सर्वसम्मति की मांग करता है।
साधारण शब्दों में सर्वसम्मति किसी टीम के सभी सदस्यों की रजामंदी से लिया गया निर्णय होता है, जो तत्कालीन परिस्थितियों में सर्वोत्तम होता है। इस निर्णय को लेकर टीम के सभी सदस्यों की स्पष्ट समझ होती है और हर सदस्य इसके पीछे खड़ा होता है।
सर्वसम्मति तक पहुंचने की प्रक्रिया में विभिन्न नजरिए वाले सदस्यों की सोच एक जैसी बनाने या उसके मतभेदों को कम करना शामिल होता है।
सर्वसम्मति ने एक टीम के सभी सदस्यों के नजरियों को स्पष्ट किया जाता है। टीम के सदस्य जब तक समस्या अथवा निर्णय के सभी पहलुओं को देख और समझ नहीं लेते, तब तक उनके दृष्टिकोणों पर बार-बार विचार किया जाता है, उनकी तुलना की जाती है और बराबर चर्चा होती है।
सर्वसम्मति का परिणाम समझौते से बढ़िया होता है, क्योंकि इसमें लोग साथ चलते हैं। इसके अलावा यह एक ऐसा निर्णय होता है, जिस पर टीम सारे तथ्यों, जोखिम और दिक्कतों के विश्लेषण के बाद पहुंचती है।
वैसे जरूरी नहीं है कि इस तरह का आंकड़े आदर्श हो और टीम का हर सदस्य इससे खुश हो। फिर भी हर कोई यह समझ सकता है कि यह निर्णय क्यों लिया गया।
सर्वसम्मति बनाना सीखने लायक विषय है, क्योंकि इसमें मुद्दे का कोई दृष्टिकोण से परीक्षण किया जाता है। टीम के सदस्य यह देखते हैं कि समस्या के विभिन्न पहलुओं के प्रति दूसरों का नजरिया क्या है और उनके हिसाब से महत्वपूर्ण क्या है? इस स्थिति में, टीम विभिन्न नजरिए वाले लोगों के समूह की जगह मुद्दे के प्रति अधिक समझ-बूझ रखने वाले सदस्यों के समूह में परिवर्तन होने लगते हैं।
दो महत्वपूर्ण बातें हैं, सर्वसम्मति समय लेती है। इसमें टीम के सदस्यों को ईमानदारी पूर्वक विचारों का आदान-प्रदान करने, उन पर चर्चा करने, दूसरों के विचार सुनने और उनके अनुरूप लचीला होने की जरूरत होती है। तथ्यों और तर्कों से सामना होता है, तो लोगों को अपनी सोच बदलनी पड़ती है और इस स्थिति के अनुरूप समायोजन करना पड़ता है। यह सब जल्दी बाजी में नहीं होता।
सर्वसम्मति हर निर्णय के लिए नहीं है। यह उन निर्णयों के लिए है जिन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए पूरा समूह खड़ा हो और साथ रहने के लिए तैयार हो। टीम को यह पहचाना होता है कि किन निर्णयों को सर्वसम्मति की जरूरत होती है।
जाने की सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय कभी पूर्ण नहीं होते : सर्वसम्मति ऐसे निर्णय को पैदा करती है, जो समय एवं स्थान के हिसाब से ठीक है। यदि स्थितियां अलग हों तो सर्वसम्मति के बजाय अन्य विकल्प बेहतर हो सकता है।
वास्तविक प्रयास करें : सर्वसम्मति टीम की तरफ से वार्षिक प्रयासों की मांग करती है। यह वहीं पैदा होती है, जहां एक योग्य व्यक्ति अथवा टीम का लीडर हो। अगर निर्णय को लेकर कोई संदेह हो, तो लोगों के नजरिए जानने के लिए बैठ कर बात करें।
सर्वसम्मति की कला सीखे : टीम के सदस्यों को विचारों का आदान प्रदान करना, उनकी जांच करना तथा लचीला एवं गैर रक्षात्मक होना सीखना चाहिए। ये वे गुण है, जिन्हें सीखा जा सकता है और जिनका अभ्यास किया जा सकता है।
"एक बार फिर, असंभव समस्या तब सुलझती है, जब हम देखते हैं कि समस्या केवल एक मुश्किल निर्णय है, जो लिए जाने की प्रतीक्षा कर रहा है"
Lesson - 14 साझा नजरिया तलाशे
मुकाबला करें
अगर सहयोग की भावना किसी टीम के रचनात्मक और रोचक विचारों को एक मेज पर लाती है, तो सर्वसम्मति की प्रक्रिया उस टीम को सबसे अच्छे संभावित विचार का चुनाव करने तथा उसके साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार करती है।
एक वास्तविक सर्वसम्मति पाने के लिए प्रत्येक सदस्य को टीम के निर्णय को समझना और सहयोग करना होता है। इसके साथ ही टीम को कुछ महत्वपूर्ण मूलभूत गुणों का प्रदर्शन करना होता है। याद रखें, सर्वसम्मति का मतलब किसी मूलभूत विचार या समस्या और उससे जुड़े विकल्पों के बारे में टीम के सदस्यों के बीच साझा नजरिया विकसित करना है।
टीम के प्रत्येक सदस्य को किसी समस्या के बारे में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। इसका मतलब है कि हर सदस्य को पूरी इमानदारी और खुले कौन से अपना नजरिया बताना चाहिए कि विकल्प "ए" विकल्प "बी" से पहले रखे जाने लायक क्यों है? अपनी स्थिति को स्पष्ट करना पहला कदम है।
भिन्न अर्थों के पीछे छुपे हुए कारणों की तलाश करें। अगर आपकी टीम एक लचीला वर्किंग सेड्यूल तैयार कर रही है, तो यह जानकर हैरान ना हो कि कुछ सदस्य लचीला शब्द का भी अलग-अलग मतलब समझ सकते हैं। एक सदस्य के लिए 'लचीला' शब्द का अर्थ 'कुछ भी चलेगा' तो हो सकता है, तो दूसरा इसे 'विकल्पों के बीच चुनाव' के रूप में भी ले सकता है। इस भिन्नता की वजह यह हो सकती है कि एक सदस्य लचीलापन के बारे में दूसरे से ठीक विपरीत विचार रखता है।
टीम के हर सदस्य से विशेष तौर पर उसके विचार पूछे और उसे उनके पक्ष में तर्क देने को कहें। इसमें बहुत ज्यादा समय नहीं लगेगा और जल्दी ही टीम की समझ में यह बात आ जाएगी कि समस्या का हल निकालने के लिए मतभेदों के बजाय सहयोग ज्यादा ठीक तरीका है।
खुले दिमाग और सहयोग की जरूरत पर जोर दें। यह बात मान ले कि दूसरे व्यक्ति के पास उसके नजरिए के उचित कारण है। दूसरे व्यक्ति के नजरिए और दिमाग में समस्या को देखने का प्रयास करें। हालांकि उसका नजरिया आप से एकदम अलग हो सकता है, पर इस तरह से आप उसे ज्यादा बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। संभव है कि इसके बाद आपकी सोच भी बदल जाए।
जब क्यों-कैसा जैसे सवाल के साथ शुरुआत होती है, तो कुछ लोग इसे खुद पर हमला समझ सकते हैं और अपना बचाव करने में लग सकते हैं। टीम के हर सदस्य को याद समझना चाहिए कि सर्वसम्मति खुले दिमाग से चर्चा करने पर ही निर्भर करती है। इसलिए ऐसी चुनौती मिलने पर हैरान न होते हुए सदस्यों को शांत रहने और अपनी बात को स्पष्ट करने की जरूरत होगी।
सर्वसम्मति टीम के कुछ सदस्यों के लिए एक नई अवधारणा हो सकती है। इसमें सफलता पाने में उनकी मदद इस तरह करें :
बताएं कि सर्वसम्मति कैसे काम करती है : टीम के हर सदस्य कोई यह जानना चाहिए कि सर्वसम्मति में सभी के नजरियों और उसके पक्ष में उनकी दलीलों का व्यवस्थित खुलासा होता है।
हर एक को शामिल करें : सर्वसम्मत निर्णय से कोई भी अलग नहीं हो सकता। टीम के लिए सदस्यों को सौ फीसदी भागीदारी की शक्ति पहचानने का यही उचित समय होता है।
धैर्य रखें : सर्वसम्मति विचारों से भरपूर प्रक्रिया है। इसमें ज्यादा समय लग सकता है। लोगों को यह समझाने के लिए समय की जरूरत होती है कि आखिर करना क्या है। सर्वसम्मति करने के लिए पर्याप्त समय दे।
"धैर्य कड़वा होता है, परंतु इसका फल मीठा होता है"
Lesson - 15 सर्वसम्मत निर्णय लेने का अभ्यास करें
सर्वसम्मति बनाना आसान है
आपकी टीम के लिए सर्वसम्मति टीम को चलाने का एक नया तरीका हो सकती है, इसलिए एक-दो साधारण अभ्यासों के जरिए यह बताएं कि सर्वसम्मति काम कैसे करती है?
टीम को यह समझने का मौका दें कि सर्वसम्मति से काम करना क्या होता है। तय करें कि सर्वसम्मति के पक्ष में किस तरह का व्यवहार सबसे ज्यादा सफल रहेगा। टीम के सदस्यों को यह बताएं कि सर्वसम्मति तभी काम करती है, जब लोग बचने की कोशिश किए बिना खुले दिमाग से बताते हैं कि वे कुछ विकल्पों को पहले रखे जाने योग्य क्यों मानते हैं और जब वे दूसरे सदस्यों के विचारों को सावधानी से सुनते हैं।
टीम के सदस्य जब सहयोग करना सीखते हैं और सर्वसम्मति पर पहुंचने की कोशिश करते हैं, तो उनके व्यवहार ज्यादा खुले और सरल हो जाते हैं।
यहां आपकी टीम के लिए सर्वसम्मति का एक आधार अभ्यास किया जा रहा है। किसी ताजा विषय पर एक जोशीली चर्चा आयोजित करें। चर्चा के लिए सूचीबद्ध किए गए मुद्दो में से किसी एक पर सदस्यों से टीम की शर्तों के अनुरूप सहमति बनाने के लिए कहे। ध्यान रखें, मुख्य बाद सहमति है, समझौता नहीं।
इसके अलावा टीम के हर सदस्य को सर्वसम्मति की कला सीखने की कोशिश करनी चाहिए : इसके लिए ध्यान से दूसरों के विचारों विचार सुनने, बचने का प्रयास न करते करने, खुला दिमाग रखने, अपने नजरिए का कारण सहित खुलासा करने और सर्वसम्मति की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी की जरूरत होगी।
कल्पना करें कि किसी टीम को नीति संबंधी एक निर्णय लेना है। उसका पहला निर्णय है -- क्या आपके शहर, कस्बे या राज्य के सभी स्कूलों के बच्चों को हर दिन एक जैसी यूनिफॉर्म पहनी चाहिए ? किन परिस्थितियों में टीम का हर सदस्य इस निर्णय को स्वीकार कर पाएगा ?
यहां एक और निर्णय दिया जा रहा है। क्या आपके नजदीकी बड़े शहर में हर वर्किंग डे पर दस से तीन बजे के बीच यातायात आपातकालीन वाहनों, ट्रकों बसों और टैक्सियों तक सीमित होना चाहिए ? कौन सी बात इस निर्णय को स्वीकार करने योग्य बनाएगी ।
अंत में, एक विवादास्पद निर्णय का जिक्र किया जा रहा है। टीम के सदस्यों की वेतन वृद्धि सामूहिक प्रदर्शन पर आधारित होनी चाहिए अथवा उनके व्यक्तिगत प्रदर्शन पर ? यहां कौन सी चीज काम करेगी ? अगर आप इस पर सर्वसम्मति पा सकते हैं, तो प्रयास करें।
याद रखें, सर्वसम्मति के लिए मतदान करने की अनुमति नहीं है। सर्वसम्मति चर्चाओं से आती है, चुनाव से नहीं।
टीम को सर्वसम्मति का सिखाने के लिए :
बताएं कि सर्वसम्मति कैसे काम करती है : टीम के कुछ सदस्यों के लिए एक नई कला हो सकती है। उन्हें यह समझाने की जरूरत होती है कि उनसे क्या अपेक्षा की जा रही है।
टीम द्वारा दिए गए सर्वसम्मत निर्णयों को जांचे : दिए गए अभ्यासों से यह स्पष्ट दिखना चाहिए कि टीम एक परिणाम पर दृढ़ता से सहमति बना सकती है और उसके पीछे हर सदस्य का प्रदर्शन होता है। जांच करें कि यह सही है या नहीं।
सर्वसम्मति बनने पर पुरस्कार दे : टीम को यह समझने का मौका देगी कब उसका खुला, स्पष्ट, सुनने वाला और सहयोगात्मक हो रहा है। याद रखें, जब टीम वास्तविक समस्याओं का सामना करती हो, तो इन भुला दिए गए हैं विचारों पर सेतु हटाने की जरूरत पड़ती है।
"जब आप अपने जीवन मूल्यों को पहचान जाते हैं तो निर्णय लेना मुश्किल नहीं है घर जाता "
टिप्पणियाँ