- महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के समीप लुम्बिनी ग्राम में हुआ था। (जन्म प्रतीक चिन्ह-कमल वह साॅड)
- इनके पिता का नाम शुद्धोधन (शाक्य गण के प्रधान) तथा माता का नाम महामाया (कोलियागण की राजकुमारी) था।
- 35 वर्ष की आयु में गया (बिहार) में उरुवेला नामक स्थान पर पीपल वृक्ष के नीचे निरंजना (फल्गु) नदी के तट पर वैशाख पूर्णिमा की रात्रि में समाधिस्थ अवस्था में इनको ज्ञान (निर्वाण) प्राप्त हुआ (ज्ञान प्रतीक चिन्ह-पीपल बोधि वृक्ष)।
- महात्मा बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश (धर्मचक्र प्रवर्तन) सारनाथ (ऋषि पत्नम या मृगदाव) में दिया।
- 483 ई.पू. में 80 वर्ष की आयु में महात्मा बुद्ध का देहांत (महापरिनिर्वाण) कुशीनगर में हुआ (प्रतीक चिन्ह-स्तूप)।
- बौद्ध धर्म के त्रिरत्न है----बुद्ध, धम्म तथा संघ।
बौद्ध महासंगीतियाॅ
बौद्ध धर्म के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए कुल चार बौद्ध महासंगीतियाॅ हुई है जिसको तत्कालीन शासकों ने कराया।
प्रथम बौद्ध महासंगीति 483 ई.पू. में सप्तपर्णी गुफा जो राजगृह (बिहार) में स्थित है, हुआ था। इसको हर्यक वंश के शासक अजातशत्रु ने कराया था और इस महासंगीति के अध्यक्ष महाकश्यप थे।
द्वितीय बौद्ध महासंगीति 383 ई.पू. में चुल्वग्ग नामक स्थान पर हुआ था, जो बिहार के वैशाली में स्थित है। इसको शिशुनाग वंश के कालाशोक नामक शासक ने कराया था। और इस महासंगीति के अध्यक्ष सब्बकामि थे।
तृतीय बौद्ध महासंगीति 250 ई.पू. में पाटलिपुत्र नामक स्थान पर जो मगध की राजधानी थी, में हुआ था। इसको मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक ने कराया था और इस महासंगीति के अध्यक्ष मोग्गलीपुत्त तिस्म थे।
चतुर्थ बौद्ध महासंगीति 72 ई. में कुण्डलवन नामक स्थान पर जो कश्मीर में स्थित है, में हुआ था। इसको कुषाण वंश के शासक कनिष्क ने कराया था और इसके अध्यक्ष वसुमित्र थे।
इस संगीति में बौद्ध धर्म हीनयान और महायान में विभक्त हो गया था।
त्रिपिटक : बौद्ध धर्म सिद्धांतों एवं नियमों पर तीन त्रिपिटकों में विस्तार से प्रकाश डाला गया है। ये तीन त्रिपिटक है:
सुत्तपिटक : इसमें बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का उल्लेख है। विनयपिटक : इसमें बौद्ध धर्म के नियमों की व्याख्या की गई है।
अभिधम्मपिटक : इसमें बौद्ध दर्शन पर प्रकाश डाला गया है।
- अधिकांश बौद्ध ग्रंथों की रचना पाली भाषा में हुई है।
- बौद्ध धर्म अनिश्वरवादी एवं अनात्मवादी है लेकिन इसमें पुनर्जन्म की मान्यता है।
- बौद्ध धर्म का मूलतत्व प्रतीत्य समुत्पाद है तथा महात्मा बुद्ध ने मध्यम मार्ग का उपदेश दिया।
- बुद्ध के सारथी का नाम चाण (छन्दक) तथा घोड़े का नाम कन्थक था।
- बुद्ध ने 8 मार्गों के अनुसरण द्वारा निर्वाण सम्भव बताया जिसे अष्टांगिकमार्ग कहा जाता है।

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